रुचि छंद
“कालिका स्तवन”
माँ कालिका, लपलप जीभ को लपा।
दुर्दान्तिका, रिपु-दल की तु रक्तपा।।
माहेश्वरी, खड़ग धरे हुँकारती।
कापालिका, नर-मुँड माल धारती।।
तू मुक्त की, यह महि चंड मुंड से।
विच्छेद के, असुरन माथ रुंड से।।
गूँजाय दी, फिर नभ अट्टहास से।
थर्रा गये, तब त्रयलोक त्रास से।।
तू हस्त में, रुधिर कपाल राखती।
आह्लादिका,असुर-लहू चाखती।।
माते कृपा, कर अवरुद्ध है गिरा
पापों भरे, जगत-समुद्र से तिरा।।
हो सिंह पे, अब असवार अम्बिका।
संसार का, सब हर भार चण्डिका।।
मातेश्वरी, वरद कृपा अपार दे।
निस्तारिणी, जगजननी तु तार दे।।
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रुचि छंद विधान –
“ताभासजा, व ग” यति चार और नौ।
ओजस्विनी, यह ‘रुचि’ छंद राच लौ।।
“ताभासजा, व ग” = तगण भगण सगण जगण गुरु।
(221 2,11 112 121 2) = 13 वर्ण का वर्णिक छंद, 4 पद, यति 4 और 9 वर्ण पर, चार पद, दो-दो पद समतुकांत।
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया
नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
माता कालिका की बहुत भावपूर्ण स्तुति हुई है।
आपकी मनचाही प्रतिक्रिया का हार्दिक धन्यवाद।
रुचि छंद में माँ कालिका की स्तुति अतीव मनभावक एवं नित्य पठनीय समान हो गई है।
बहुत ही सुंदर लेखन भैया।
शुचिता बहन तुम्हारी भावभीनी प्रतिक्रिया का हृदयतल से धन्यवाद।