लावणी छंद
‘एक चिट्ठी माँ के नाम’
लिखने बैठी माँ को चिट्ठी, हाल सभी बतलाती है।
नन्हे मन की अति व्याकुलता, खोल हृदय दिखलाती है।।
लिखती वो सब ठीक चल रहा, बदला कुछ यूँ खास नहीं।
एक नई माँ आयी है अब, दिखती बस तू ही न कहीं।
भाई छोटू भी आया है, सबका राज दुलारा है।
कहती है दादी यह अक्सर, वो घर का उजियारा है।।
नये खिलौने अब भी आते, कपड़े नित नव आते हैं।
छोटू के सब नये खिलौने, माँ मुझको भी भाते हैं।।
मेरे बदले स्कूटर पर अब, बैठे भाई नित आगे।
प्यार याद आता है तेरा, रोती हूँ जागे-जागे।।
दौड़-दौड़ कर तब तू मुझको, अपने पास बुलाती थी।
खूब बहाने नये बनाकर, खाना मुझे खिलाती थी।।
तंग बहुत करती थी तुमको, लेकिन अब मैं सुधर गई।
सारे घर के काम सीखती, जब से तुम हो उधर गई।।
विद्यालय भी अक्सर अब तो, कम ही जाना पड़ता है।
वरना छोटू खेलन खातिर, मुझसे खूब झगड़ता है।।
पढ़ने को तुम डाँटा करती, लेकिन यह माँ अच्छी है।
तुम झूठी जो छोड़ गई हो, लगता यह माँ सच्ची है।।
पापा भी अक्सर मुझको अब, भूल रात में जाते हैं।
लोरी,झप्पी,गीत,कहानी, कहाँ सुनाने आते हैं।।
काश सितारा साथ बनाकर, मुझको भी तुम ले जाती।
चंदा मामा के घर मैं भी, बनी दुलारी रह पाती।।
लावणी छंद विधान
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
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शुचिता बहन लावणी छंद में बहुत ही भावुक कर देने वाली रचना हुई है।
उत्साहित करने हेतु आभार भैया।
बिटिया के हृदय की पीड़ा व्यक्त करती स्वर्गीय माँ को दर्द भरी चिट्ठी।
प्रतिक्रिया हेतु आभार।