लावणी छंद विधान (मात्रिक छंद परिभाषा)
लावणी छंद सम मात्रिक छन्द है। इस छंद में चार पद होते हैं, जिनमें प्रति पद 30 मात्राएँ होती हैं।
प्रत्येक पद दो चरण में बंटा हुआ रहता है जिनकी यति 16-14 पर निर्धारित होती है। अर्थात् विषम चरण 16 मात्राओं का और सम चरण 14 मात्राओं का होता है। दो-दो पदों की तुकान्तता का नियम है। पदान्त सदैव गुरु या 2 लघु से होना चाहिये।
16 मात्रिक वाले चरण का विधान और मात्रा बाँट ठीक चौपाई छंद वाला है। 14 मात्रिक चरण की बाँट 12+2 है। 12 मात्रिक 3 चौकल, एक अठकल एक चौकल या एक चौकल एक अठकल हो सकता है। चौकल और अठकल के सभी नियम लागू होंगे।
बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
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बहुत बढ़िया ब्लॉग है हम नवसिखुओं के लिए
आपका आत्मिक आभार।
आप साइट पर अपने को register करना पसंद करते हैं तो आपका स्वागत है।
लावणी छंद का विधान बहुत ही समझा कर दिया गया है।
हृदयतल से धन्यवाद।
लावणी छन्द के विधान की अति उत्तम जानकारी।
शुचिता बहन प्रतिक्रिया का हार्दिक धन्यवाद।