लीलावती छंद
‘मारवाड़ की नार’
हूँ मारवाड़ की एक नार, मैं अति बलशाली धीर वीर।
पी सकती अपना अहम घूँट, दुख विपदा मन की सकल पीर।।
पर सेवा मेरा परम धर्म, मन मानवता की गंग धार।
जब तक जीवन की साँस साथ, मैं नहीं मानती कभी हार।।
मैं सहज शांति प्रिय रूपवान, है सीधी मेरी चाल-ढाल।
निज कर्तव्यों की करूँ बात, सब अधिकारों को भूल-भाल।।
हूँ स्नेह सिंधु की एक बूँद, चित चंचलता की तेज धार।
अति भावुक मेरा हृदय जान, जो समझे केवल प्रेम सार।।
मैं लज्जा जेवर रखूँ धार, हूँ सहनशक्ति का मूर्त रूप।
रिश्तों पर जीवन सकल वार, तम हरकर हरदम रखूँ धूप।।
मैं छैल छबीली लता एक, घर मेरा जैसे कृष्ण कुंज।
हर संकट में मैं बनूँ ढाल, हूँ छोटा सा बस शक्ति पुंज।।
लेकर परिजन का पूर्ण भार, घर साम रखूँ यह लक्ष्य एक।
है धर्म-कर्म का प्रबल जोश, मन को निष्ठा से प्रीत नेक।।
यम से भी पति के प्राण छीन, ला सकती पतिव्रत नियम मान।
‘शुचि’ मारवाड़ की सुता वीर, अरि का मुझको बस प्रलय जान।।
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लीलावती छंद विधान- (मात्रिक छंद परिभाषा) <– लिंक
लीलावती छंद 32 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है। चार पदों के इस छंद में दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
द्विकल+ अठकल+ त्रिकल+ ताल (21), द्विकल+ अठकल+ त्रिकल+ ताल (21)
द्विकल में 2 और 11 दोनों मान्य है।
अठकल में 4+4, 3+3+2 दोनों मान्य है।
त्रिकल में 2+1, 1+2, 111 तीनों रूप मान्य है।
2 2222 3 21, 2 2222 3 21
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शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
शुचिता बहन लीलावती छंद में मारवाड़ नार की सनातनी छवि का पूर्ण दिग्दर्शन। बहुत सुंदर सृजन।
हार्दिक आभार भैया।
लीलावती छंद में लीक से हट कर बहुत सुंदर सृजन। अपनी माड़वाड़ नार की छवि में पूर्ण सनातन संस्कृति का दिग्दर्शन।
अतिशय आभार।