विमलजला छंद
“राम शरण”
जग पेट भरण में।
रत पाप करण में।।
जग में यदि अटका।
फिर तो नर भटका।।
मन ये विचलित है।
प्रभु-भक्ति रहित है।।
अति दीन दुखित है।।
हरि-नाम विहित है।।
तन पावन कर के।
मन शोधन कर के।।
लग राम चरण में।
गति ईश शरण में।।
कर निर्मल मति को।
भज ले रघुपति को।।
नित राम सुमरना।
भवसागर तरना।।
=============
विमलजला छंद विधान:- (वर्णिक छंद परिभाषा)
“सनलाग” वरण ला।
रचलें ‘विमलजला’।।
“सनलाग” = सगण नगण लघु गुरु
112 111 12 = 8 वर्ण
चार चरण। दो दो समतुकांत
********************
बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
https://nayekavi.blogspot.com
Related Posts:
- मंगलवत्थु छंद 'अयोध्या वापसी' by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' May 25, 2023 मंगलवत्थु छंद 'अयोध्या वापसी' घर आये श्री राम, आज खुशियाँ बरसी। घन, अम्बर, पाताल, सकल धरती सरसी।। सजे हुये घर द्वार, सजे सब नर-नारी। झिलमिल जलते दीप, सजी नगरी सारी।। शंखनाद चहुँ ओर, ढोल, डमरू गाजे। जयकारे की गूँज, गीत…
- बिंदु छंद "राम कृपा" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' March 16, 2023 बिंदु छंद विधान - "भाभमगा" यति, छै ओ' चारी। 'बिंदु' रचें सब, छंदा प्यारी।। "भाभमगा" = भगण भगण मगण गुरु (211 211, 222 2) = 10 वर्ण प्रति पद का वर्णिक छंद।
- सोरठा छंद 'राम महिमा' by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' June 28, 2022 सोरठा छंद और दोहा छंद के विधान में कोई अंतर नहीं है केवल चरण पलट जाते हैं। दोहा के सम चरण सोरठा में विषम बन जाते हैं और दोहा के विषम चरण सोरठा के सम। तुकांतता भी वही रहती है।…
- पादाकुलक छंद 'राम महिमा' by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' June 15, 2022 पादाकुलक छंद 16 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है। इन 16 मात्राओं की मात्रा बाँट:- चार चौकल हैं। पादाकुलक छंद के विभिन्न भेदों में मत्त समक छंद, विश्लोक छंद, चित्रा छंद, वानवासिका छंद इत्यादि सम्मिलित हैं।
- शालिनी छंद "राम स्तवन" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' December 25, 2021 शालिनी छंद विधान - राचें बैठा, सूत्र "मातातगागा"। गावें प्यारी, 'शालिनी' छंद रागा।। "मातातगागा"= मगण, तगण, तगण, गुरु, गुरु (222 221 221 22)
- रूपमाला छंद "राम महिमा" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' August 29, 2021 रूपमाला छंद / मदन छंद विधान – रूपमाला छंद जो कि मदन छंद के नाम से भी जाना जाता है, 24 मात्रा प्रति पद का सम-पद मात्रिक छंद है। इसके प्रत्येक पद में 14 और 10 के विश्राम से 24…
- दीप छंद "राम-भजन" by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' August 8, 2021 दीप छंद विधान - "चौकल नगण व्याप्त, गुरु-लघु कर समाप्त, रच लो मधुर 'दीप', लगती चपल सीप।" चौकल, नगण(111) गुरु लघु (S1) = 10 मात्रायें।
- पुण्डरीक छंद "राम-वंदन" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' August 5, 2021 पुण्डरीक छंद विधान - "माभाराया" गण से मिले दुलारी। ये प्यारी छंदस 'पुण्डरीक' न्यारी।। "माभाराया" = मगण भगण रगण यगण।
बहुत बढ़िया मामाजी।
बहुत बहुत धन्यवाद।
इस रचना मेंं जीवन का अंतिम सत्य उड़ेल के रख दिया है। सच है “गति ईश शरण में” ही है।
आपकी प्रतिक्रिया का आत्मिक आभार।
एक अच्छी शिक्षा,अच्छा भाव ।। हार्दिक प्रणाम।।
आदरणीय कृष्ण कुमार जी कविकुल वेब साइट पर आपका हार्दिक स्वागत है। आपकी प्रतिक्रिया का आत्मिक आभार।
राम नाम जप महिमा पर सुंदर रचना।
शुचिता बहन हृदयतल से धन्यवाद।