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शालिनी छंद

“राम स्तवन”

हाथों में वे, घोर कोदण्ड धारे।
लंका जा के, दैत्य दुर्दांत मारे।।
सीता माता, मान के साथ लाये।
ऐसे न्यारे, रामचन्द्रा सुहाये।।

मर्यादा के, आप हैं नाथ स्वामी।
शोभा न्यारी, रूप नैनाभिरामी।।
चारों भाई, साथ सीता अनूपा।
बांकी झांकी, दिव्य है शांति-रूपा।।

प्राणी भू के, आप के गीत गायें।
सारे देवा, साम गा के रिझायें।।
भक्तों के हो, आप ही दुःख हारी।
पूरी की है, दीन की आस सारी।।

माता रामो, है पिता रामचन्द्रा।
स्वामी रामो, है सखा रामचन्द्रा।।
हे देवों के, देव मेरे दुलारे।
मैं तो जीऊँ, आप ही के सहारे।।
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शालिनी छंद विधान – (वर्णिक छंद परिभाषा) <– लिंक

राचें बैठा, सूत्र “मातातगागा”।
गावें प्यारी, ‘शालिनी’ छंद रागा।।

“मातातगागा”= मगण, तगण, तगण, गुरु, गुरु

222 221 221 22

(शालिनी छंद के प्रत्येक चरण मे 11 वर्ण होते हैं। यति चार वर्ण पे देने से छंद लय युक्त होती है।)
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

4 Responses

  1. शालिनी छंद में भगवान राम की दिव्य झाँकी एवं स्तुति अति मनोहारी हुई है। वंदनीय रचना।
    वर्णिक छंद में बहुत ही सुंदर सृजन हुआ है।

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