शास्त्र छंद
“सदाचार”
सदा मन में यही रख लें सभी धार।
न जीवन में कभी त्यज दें सदाचार।।
रहे आधार जीवन का सदा नेक।
रखें बस भावना हरदम यही एक।।
चलें अध्यात्म के पथ पर यही चाह।
अहिंसा की सदा चुननी हमें राह।।
भलाई के लिये हरदम बढ़े हाथ।
जरूरतमंद का देना हमें साथ।।
बुरी आदत न मदिरा पान की डाल
जहाँ दिखती बुराई हों उसे टाल।।
जड़ें छल क्रोध की काटें यही ठान।
करें सत्कर्म के हरदम अनुष्ठान।।
बड़ों का मान रख उनकी सुनें बात।
सदा आशीष लें उनसे न कर घात।।
बहाएं प्रेम की शुचिता सभी ओर।
रखें सद् आचरण पर हम सदा जोर।।
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शास्त्र छंद विधान – (मात्रिक छंद परिभाषा)
शास्त्र छंद 1222 1222 1221 मापनी पर आधारित 20 मात्रा प्रति चरण का मात्रिक छंद है। चूंकि यह एक मात्रिक छंद है अतः गुरु (2) वर्ण को दो लघु (11) में तोड़ने की छूट है। इस छंद में 1,8,15,20 वीं मात्राएँ सदैव लघु होती हैं । दो दो चरण समतुकांत होने चाहिए।
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शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
सदाचार पर बढ़िया उपदेश
आभार
शुचिता बहन तुम कविकुल के पाठकों का नये नये छंदों में उत्तम विचारों से सजी रचना से निरंतर परिचय करा रही हो। इसी कड़ी में तुम्हारी प्रस्तुत शास्त्र छंद की सविधान रचना की जितनी प्रशंसा की जाये कम है।
आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया पढ़कर निरन्तर लेखन रुचि बढ़ती रहती है।
आप का आशीर्वाद सदैव ऐसे ही मिलता रहे।
सादर आभार।
हार्दिक आभार आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु।
सद् आचरण अपनाने की सीख देती बहुत सुंदर रचना हुई है आपकी।