बड़ा ही प्यारा है, जगत भर में भारत मुझे।
सदा शोभा गाऊँ, पर हृदय की प्यास न बुझे।।
तुम्हारे गीतों को, मधुर सुर में गा मन भरूँ।
नवा माथा मेरा, चरण-रज माथे पर धरूँ।।
यहाँ गंगा गर्जे, हिमगिरि उठा मस्तक रखे।
अयोध्या काशी सी, वरद धरणी का रस चखे।।
यहाँ के जैसे हैं, सरित झरने कानन कहाँ।
बिताएँ सारे ही, सुखमय सदा जीवन यहाँ।।
दया की वीणा के, मुखरित हुये हैं स्वर जहाँ।
सभी विद्याओं में, अति पटु रहे हैं नर जहाँ।।
उसी की रक्षा में, तन मन लगा तत्पर रहूँ।
जरा भी बाधा हो, अगर इसमें तो हँस सहूँ।।
खुशी के दीपों की, जगमग यहाँ लौ नित जगे।
हमें प्राणों से भी, अधिक प्रिय ये भारत लगे।।
प्रतिज्ञा ये धारूँ, दुखित जन के मैं दुख हरूँ।
इन्हीं भावों को ले, ‘नमन’ तुम को अर्पित करूँ।।
=================
नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
आल्हा छंद 'सैनिक' by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' August 7, 2023 आल्हा छंद 'सैनिक' मैं सैनिक निज कर्तव्यों से, कैसे सकता हूँ मुँह मोड़। प्रबल भुजाओं की ताकत से, रिपु दल का दूँगा मुँह तोड़।। मातृभूमि की रक्षा करने, खड़ा रहूँ बन्दूकें तान। कहता है फौलादी सीना, मैं सैनिक हूँ अति…
भव छंद "जागो भारत" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' July 29, 2023 भव छंद विधान - भव छंद 11 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है जिसका अंत गुरु वर्ण (S) से होना आवश्यक है । चरणांत के आधार पर इन 11 मात्राओं के दो विन्यास हैं। प्रथम 8 1 2(S)…
ताटंक छंद 'स्वच्छ भारत' by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' February 1, 2023 ताटंक छंद सुंदर स्वच्छ बनेगा भारत, ऐसा शुभ दिन आएगा। तन मन धन से भारतवासी ,जब आगे बढ़ जाएगा।। अलग-अलग आलाप छोड़कर, मिलकर सुर में गाएगा ।
ग्रंथि छंद "देश का ऊँचा सदा" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' December 31, 2022 ग्रंथि छंद चार पदों का एक सम मात्रिक छंद है जिसमें प्रति पद 19 मात्राएँ होती हैं तथा प्रत्येक पद 12 और 7 मात्रा की यति में विभक्त रहता है। 2122 212,2 212
सुमति छंद "भारत देश" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' February 23, 2022 सुमति छंद विधान - गण "नरानया" जब सज जाते। 'सुमति' छंद की लय बिखराते।। "नरानया" = नगण रगण नगण यगण =111 212 111 122
धारा छंद 'तिरंगा' by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' January 29, 2022 धारा छंद 29 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है। इसका मात्रा विन्यास निम्न है- अठकल + छक्कल + लघु, अठकल + छक्कल(S) 2222 2221, 2222 222 (S)
आँसू छंद "कल और आज" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' October 10, 2021 आँसू छंद प्रति पद 28 मात्रा का सम पद मात्रिक छंद है। छंद का पद 14 - 14 मात्रा के दो यति खण्डों में विभक्त रहता है। भारत तू कहलाता था, सोने की चिड़िया जग में। तुझको दे पद जग-गुरु…
हंसगति छंद "भारत" by शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' September 8, 2021 हंसगति छंद विधान - हंसगति छंद बीस मात्रा प्रति पद का मात्रिक छंद है जिसमें ग्यारहवीं और नवीं मात्रा पर विराम होता है। प्रथम चरण की मात्रा बाँट ठीक दोहे के सम चरण वाली तथा 9 मात्रिक द्वितीय चरण की…
अति सुंदर रचना है जी।
टिप्पणी का हृदयतल से अभिनंदन।
भारत महिमा बहुत ही सुंदर लिखी है आपने
यशस्वी तुम्हारी टिप्पणी का बहुत बहुत धन्यवाद।
भारत महिमा गान बहुत ही सुंदर,अप्रतिम सृजन हुआ है। शिखरिणी छंद भी इस ओजपूर्ण रचना से धन्य हुआ।
शुचिता बहन नव उत्साह देती इस प्रतिक्रिया का.हार्दिक धन्यवाद।
भारत धरा का बहुत ही ओजपूर्ण वर्णन शिखरिणी छंद में हुआ है। शत शत नमन इस पावन धरा को।
आपकी मधुर प्रतिक्रिया का हार्दिक अभिनंदन और हृदय से स्वागत।