संपदा छंद
‘श्री गणेशाय नमः’
हे वरगणपति देव, शिव-गौरी सुत सुजान।
श्री कार्तिकेय भ्रात, जगत करे गुण बखान।।
गज मुख दुर्लभ रूप, है काया अति विशाल।
शशि मष्तक पर सोय, अति सुंदर दिव्य भाल।।
तिथि भाद्र शुक्ल चौथ, जन्मे प्रभु श्री गणेश।
है आह्लादित मात, नाचे छम छम महेश।।
तन पीताम्बर सोय, तुण्ड बड़ी है विशाल।
गल मणि माला दिव्य, आकर्षक सौम्य चाल।।
हो प्रथम पूज्य आप, करें सफल सकल काज।
दुख हरते प्रभु शीघ्र, रखते तुम भक्त लाज।।
हे भूपति विघ्नेश, सब देवों के नरेश।
तन मन धन से भक्त, ध्याते प्रतिपल गणेश।।
हे मेरे आराध्य, नमन करूँ नित विनीत।
सद्ग्रन्थों को राच, कार्य करूँ मैं पुनीत।।
कर लेखन गति तेज, भर दो हिय में उजास।
‘शुचि’ आँगन में आप, करना प्रभु नित्य वास।।
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संपदा छंद विधान-
संपदा छंद 23 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।
यह 11 और 12 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहती है। दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
2 22221, 2222 121
चूंकि यह मात्रिक छंद है अतः 2 को 11 में तोड़ा जा सकता है, किंतु आदि द्विकल एवं अंत 121 (जगण) अनिवार्य है। अठकल के नियम अनुपालनिय है।
लिंक:- मात्रिक छंद परिभाषा
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शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
शुचिता बहन कठिन मात्रिक छंद संपदा छंद में विघ्न नाशक गजानन गणेश की बहुत प्यारी स्तुति रची है। तुम्हारे लेखन पर वरद गणेश महाराज की यूँ ही कृपा बनी रहे।
उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ आपका भैया।
जय श्री गणेश।
गणपति की बहुत प्यारी कविता।
हार्दिक आभार भाभी।