सरस छंद “ममतामयी माँ”
माँ तुम्हारा, छत्र सर पर।
छाँव देता, दिव्य तरुवर।।
नेह की तुम, खान निरुपम।
प्रेम की हो, रश्मि चमचम।।
जीव का कर, तुम अवतरण।
शिशु का करो, पोषण भरण।।
माँ सृष्टि को, कर प्रस्फुटित।
भाव में बह, होती मुदित।।
मातृ आँचल, शीतल सुखद।
दूर करता, ये हर विपद।।
माँ की कांति, रवि सम प्रखर।
प्रीत की यह, बहती लहर।।
वात्सल्य की, प्रतिमूर्ति तुम।
भाल पर ज्यों, दिव्य कुमकुम।।
भगवान हैं, माँ के चरण।
इन बिन कहाँ, फिर है शरण।।
माँ दुलारी, ज्यों विशद नभ।
जो बनाए, हर पथ सुलभ ।।
गोद में हैं, सब तीर्थ स्थल।
तार दें जो, जीवन सकल।।
माँ तुम्हारी, ममता परम।
कोई नहीं, इसका चरम।।
पीड़ मेरी, करती शमन।
प्रति दिन करूँ, तुमको ‘नमन’।।
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सरस छंद –
सरस छंद 14 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है जिसका अंत नगण (111) से होना आवश्यक है। इसमें 7 – 7 मात्राओं पर यति अनिवार्य है। यह मानव जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 पद होते हैं और छंद के दो दो या चारों पद सम तुकांत होने चाहिए। इन 14 मात्राओं की मात्रा बाँट 2 5, 2 5 है। पंचकल की निम्न संभावनाएँ हैं :-
122
212
221
(2 को 11 में तोड़ सकते हैं, पर पद का अंत सदैव तीन लघु (111) से होना चाहिए।)
मात्रिक छंद परिभाषा
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया
नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
माँ को समर्पित भावों पर बहुत ही हृदयस्पर्शी रचना हुई है भैया।
शुचिता बहन तुम्हारी प्रतिक्रिया का हार्दिक धन्यवाद।
इस सुहावनी छंद में माँ की महिमा का बहुत सुंदर बखान हुआ है।
आपकी भावभीनी टिप्पणी का हार्दिक धन्यवाद।