हंसगति छंद
“भारत”
भारत मेरा देश, बड़ा मनभावन।
कण-कण लगे सजीव, और अति पावन।।
माँ गंगा का रूप, यहाँ जल धारा।
दिव्य गुणों की खान, देश यह सारा।।
गीता,वेद, पुराण, ग्रन्थ ये सारे।
जीवन के हर तत्व, हमें दे न्यारे।।
सन्तों का सानिध्य, यहाँ सब पाएँ।
भाव भक्ति के गीत, सभी जन गाएँ।।
दया, प्रेम, सद्भाव, धर्म का वैभव।
पर्वों का आनंद, देश में नित नव।।
विविध प्रान्त समुदाय, एक है नारा।
भारत मेरा देश, जान से प्यारा।।
सूरज,चंदा और, चमकते तारे।
घन, गिरि, नद, वन, व्योम, पूज्य हैं सारे।।
हिंदी भाषा शान, देवलिपि प्यारी।
भारत की शुचि भूमि, जगत से न्यारी।।
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हंसगति छंद विधान – (मात्रिक छंद परिभाषा)
हंसगति छंद बीस मात्रा प्रति पद का मात्रिक छंद है जिसमें ग्यारहवीं और नवीं मात्रा पर विराम होता है। छंद के 11 मात्रिक प्रथम चरण की मात्रा बाँट ठीक दोहे के सम चरण वाली यानी अठकल + ताल (21) है। 9 मात्रिक द्वितीय चरण की मात्रा बाँट 3 + 2 + 4 है।
त्रिकल में 21, 12, 111 तीनों रूप, द्विकल के 2, 11 दोनों रूप मान्य हैं। चतुष्कल के 22, 211, 112, 1111 चारों रूप मान्य हैं तथा अठकल में 4+4 या 3+3+2 दोनों हो सकते हैं।
दो दो चरण समतुकांत होने चाहिए।
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शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
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शुचिता बहन हंसगति छंद में देश भक्ति की भावना से कूट कूट भरी इस रचना में भारत के गौरव का भव्य बखान।
उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया हेतु आपका आभार भैया।
भारत की सुंदर गाथा हुई है!
आभार
देश भक्ति की बड़ी प्यारी रचना हुई है। रचना की बधाई।
उत्साहवर्धन हेतु आपका हार्दिक आभार।