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हरिगीतिका छंद

“माँ और उसका लाल”

ये दृश्य भीषण बाढ़ का है, गाँव पूरा घिर गया।
भगदड़ मची चारों तरफ ही, नीर प्लावित सब भया।।
माँ एक इस में घिर गयी है, संग नन्हे लाल का।
वह कूद इस में है पड़ी रख, आसरा जग पाल का।।

आकंठ डूबी बाढ़ में माँ, माथ पर ले छाबड़ी।
है तेज धारा मात को पर, क्या भला इससे पड़ी।।
वह पार विपदा को करे अति, शीघ्र बस मन भाव ये।
सर्वस्व उसका लाल सर पर, है सुरक्षित चाव ये।।

सन्तान से बढ़कर नहीं कुछ, है धरोहर मात की।
करती रहे चिंता सदा ही, लाल की हर बात की।।
माँ जूझती, संकट अकेली, लाख भी आये सहे।
मर मर जिये हँस के सदा, पर लाल उसका खुश रहे।।

बाधा नहीं कोई मुसीबत, पार करना ध्येय हो।
मन में उमंगें हो अगर हर, कार्य करना श्रेय हो।।
हो चाह मन में राह मिलती, पाँव नर आगे बढ़ा।
फिर कूद पड़ इस भव भँवर में, भंग बढ़ने की चढ़ा।।

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हरिगीतिका छंद विधान –

हरिगीतिका छंद चार पदों का एक सम-पद मात्रिक छंद है। प्रति पद 28 मात्राएँ होती हैं तथा यति 16 और 12 मात्राओं पर होती है। यति 14 और 14 मात्रा पर भी रखी जा सकती है।

इसकी भी लय गीतिका छंद वाली ही है तथा गीतिका छंद के प्राम्भ में गुरु वर्ण बढ़ा देने से हरिगीतिका छंद हो जाती है। गीतिका छंद के प्रारंभ में एक गुरु बढ़ा देने से इसका वर्ण विन्यास निम्न प्रकार से तय होता है।

2212 2212 2212 221S

चूँकि हरिगीतिका छंद एक मात्रिक छंद है अतः गुरु को आवश्यकतानुसार 2 लघु किया जा सकता है परंतु 5 वीं, 12 वीं, 19 वीं, 26 वीं मात्रा सदैव लघु होगी। अंत सदैव गुरु वर्ण से होता है। इसे 2 लघु नहीं किया जा सकता। चारों पद समतुकांत या 2-2 पद समतुकांत होते हैं।

इस छंद की धुन “श्री रामचन्द्र कृपालु भज मन” वाली है।

एक उदाहरण:-
मधुमास सावन की छटा का, आज भू पर जोर है।
मनमोद हरियाली धरा पर, छा गयी चहुँ ओर है।
जब से लगा सावन सुहाना, प्राणियों में चाव है।
चातक पपीहा मोर सब में, हर्ष का ही भाव है।।
(स्वरचित)

लिंक :-  मात्रिक छंद परिभाषा

बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

 

4 Responses

  1. हरिगीतिका छंद में भीषण बाढ़ के दृश्य को बहुत ही प्रभावशाली शब्दों से उकेरा है ।
    छंद के विधान को एवम गीतिका छंद से समानता एवम भिन्नता को बहुत ही आसान शब्दों में समझाया है।
    आप छंदों को सीखने में रुचि रखने वालों के लिए साहित्य की जो निःस्वार्थ सेवा कर रहे हैं उसके लिए शत शत प्रणाम आपको।

  2. हरिगीतिका छंद में बाढ में घिरी अपने नन्हे बच्चे के साथ माँ का साहसिक वर्णन।

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