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Category: मात्रिक छंद

लावणी छंद, पर्यायवाची कविता

लावणी छंद, पर्यायवाची कविता पर्यायवाची शब्द याद करने का छंदबद्ध कविता के माध्यम से आसान  उपाय- एक अर्थ के विविध शब्द ही, कहलाते पर्याय सभी। भाषा वाणी बोली की वे, कर देते हैं वृद्धि तभी।। याद

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जनक छंद “विधान”

जनक छंद कुल तीन चरणों का छंद है जिसके प्रत्येक चरण में 13 मात्राएं होती हैं। ये 13 मात्राएँ ठीक दोहे के विषम चरण वाली होती हैं। विधान और मात्रा बाँट भी ठीक दोहे के विषम चरण की है। यह छंद व्यंग, कटाक्ष और वक्रोक्तिमय कथ्य के लिए काफी उपयुक्त है।

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बादल दादा-दादी जैसे, कुकुभ छंद

बादल दादा दादी जैसे,

‘कुकुभ छंद’

श्वेत, सुनहरे, काले बादल, आसमान पर उड़ते हैं।
धवल केश दादा-दादी से, मुझे दिखाई पड़ते हैं।।

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छप्पय छंद “शिव-महिमा”

छप्पय छंद एक विषम-पद मात्रिक छंद है। यह भी कुण्डलिया छंद की तरह छह पदों का एक मिश्रित छंद है जो दो छंदों के संयोग से बनता है। इसके प्रथम चार पद रोला छंद के हैं, जिसके प्रत्येक पद में 24-24 मात्राएँ होती हैं तथा यति 11-13 पर होती है। आखिर के दो पद उल्लाला छंद के होते हैं।

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गीतिका छंद “चातक पक्षी”

गीतिका छंद चार पदों का एक सम-मात्रिक छंद है। प्रति पद 26 मात्राएँ होती है तथा प्रत्येक पद 14-12 अथवा 12-14 मात्राओं की यति के अनुसार होता है। निम्न वर्ण विन्यास पर गीतिका छंद सर्वाधिक मधुर होता है, जो रचनाकारों में एक प्रकार से रूढ है।

2122 2122 2122 212

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सोरठा छंद  ‘सोरठा विधान’

सोरठा छंद ‘सोरठा विधान’ लिखें सोरठा आप, दोहे को उल्टा रचें। अनुपम छोड़े छाप, लिखे सोरठा जो मनुज।। अठकल पाछे ताल, विषम चरण में राखिये। विषम अंत की चाल, तुकबंदी से ही खिले।। अठकल सरल

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सरस छंद “ममतामयी माँ”

सरस छंद 14 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है जिसका अंत नगण (111) से होना आवश्यक है। इसमें 7 – 7 मात्राओं पर यति अनिवार्य है।

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दोहा छंद  ‘एक जनवरी’

दोहा छंद ‘एक जनवरी’ अभिनंदन उल्लास का, करता भारतवर्ष। नये साल का आगमन, रोम रोम में हर्ष।। हैप्पी हैप्पी न्यू इयर, हैप्पी हैं सब लोग। एक जनवरी को लगे, घर घर मदिरा भोग।। टिक टिक

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ताटंक छंद ‘भँवर’

ताटंक छंद (गीत) ‘भँवर’ बीच भँवर में अटकी नैया, मंजिल छू ना पाई है। राहों में अपने दलदल की, खोदी मैंने खाई है।। कच्ची माटी के ढेले सा, मन कोमल सा मेरा था। जिधर मिला

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दोहा छंद ‘असम प्रदेश’

दोहा छंद ‘असम प्रदेश’ माँ कामाख्या धाम है, ब्रह्मपुत्र नद धार। पत्ता पत्ता रसभरा, सुखद असम का सार।। धरती शंकरदेव की, लाचित का अभिमान। कनकलता की वीरता, असम प्रांत की शान।। बाँस, चाय, रेशम घना,

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विजात छंद “उदंडी”

विजात छंद 14 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है। यह एक मापनी आधारित छंद है। इन 14 मात्राओं की मात्रा बाँट:- 1222 1222 है।

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मणिमध्या छंद ‘नैतिक शिक्षा’

मणिमध्या छंद विधान-

मणिमध्या मापनीयुक्त वर्णिक छंद है। इसमें 9 वर्ण होते हैं।
इसका मात्राविन्यास निम्न है-

211 222 112

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दोहा छंद  ‘जय पितरजी’

             दोहा छंद   ‘जय पितरजी’ पितरों के सम्मान में, नमन नित्य सौ बार। भाव सुमन अर्पण करूँ, आप करो स्वीकार।। श्राद्ध पक्ष का आगमन, पितरों का सत्कार। श्रद्धा से

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लावणी छंद ‘एक चिट्ठी माँ के नाम’

लावणी छंद ‘एक चिट्ठी माँ के नाम’ लिखने बैठी माँ को चिट्ठी, हाल सभी बतलाती है। नन्हे मन की अति व्याकुलता, खोल हृदय दिखलाती है।। लिखती वो सब ठीक चल रहा, बदला कुछ यूँ खास

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मनोरम छंद “वीर सैनिक”

मनोरम छंद 14 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है। यह मानव जाति का छंद है। इन 14 मात्राओं की मात्रा बाँट:-
S122 21SS या S122 21S11 है।

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लावणी छंद  ‘दिल मेरा ही छला गया’

लावणी छंद (गीत) ‘दिल मेरा ही छला गया’ क्यूँ शब्दों के जादूगर से, दिल मेरा ही छला गया। उमड़ घुमड़ बरसाया पानी, बादल था वो चला गया।। तड़प रही थी एक बूंद को, सागर चलकर

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शृंगार छंद “सुख और दुख”

शृंगार छंद बहुत ही मधुर लय का 16 मात्रा का चार चरण का छंद है। तुक दो दो चरण में है। इसकी मात्रा बाँट 3 – 2 – 8 – 3 (ताल) है।

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विष्णुपद छंद  ‘मंजिल पायेंगे’

विष्णुपद छंद ‘मंजिल पायेंगे’ आगे हरदम बढ़ने का हम, लक्ष्य बनायेंगे। चाहे रोड़े हों राहों में, मंजिल पायेंगे।। नवल सपन आँखों में लेकर, हम सोपान चढ़ें। कायरता की तोड़ हथकड़ी, हम निर्भीक बढ़ें।। जोश भरे

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सरसी छंद ‘मुन्ना मेरा सोय’

सरसी छंद ‘मुन्ना मेरा सोय’ ओ मेघा चुप हो जा मेघा, मुन्ना मेरा सोय। खिल-खिल हँसता कभी मुलकता, मधुर स्वप्न में खोय।। घड़-घड़ भड़-भड़ जोर-जोर से, शोर मचाना छोड़। आँख लगी मुन्ने की अब तो,

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