गोपी छन्द ‘बनाकर लक्ष्य बढ़ो आगे’
गोपी छंद विधान-
यह मापनी आधारित प्रत्येक चरण पंद्रह मात्राओं का मात्रिक छन्द है।
आदि में त्रिकल (21 या 12),अंत में गुरु/वाचिक(२२ श्रेष्ठ)अनिवार्य है।
इसका वाचिक भार निम्न है-
3(21,12)2 2222 2(s) -15 मात्राएँ।
गोपी छंद विधान-
यह मापनी आधारित प्रत्येक चरण पंद्रह मात्राओं का मात्रिक छन्द है।
आदि में त्रिकल (21 या 12),अंत में गुरु/वाचिक(२२ श्रेष्ठ)अनिवार्य है।
इसका वाचिक भार निम्न है-
3(21,12)2 2222 2(s) -15 मात्राएँ।
नाम– बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि। हिंदी साहित्य की पारंपरिक छंदों में विशेष रुचि है और मात्रिक एवं वर्णिक लगभग सभी प्रचलित छंदों में काव्य सृजन में सतत संलग्न।
सम्मान– मेरी रचनाएँ देश की सम्मानित वेब पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिंदी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।