Categories
Archives

Category: संत छंद

संत छंद ‘संकल्प’

संत छंद ‘संकल्प’ हुई भोर नयी, आओ स्वागत करलें। चलो साथ बढ़ें, नव ऊर्जा हिय भरलें।। खिली धूप धवल, कहाँ तिमिर अब गहरा। रुचिर पुष्प खिले, बाग रहा है लहरा।। करें कार्य वही, जिससे निज

Read More »
Categories