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Category: सरसी छंद

सरसी छंद ‘मुन्ना मेरा सोय’

सरसी छंद ‘मुन्ना मेरा सोय’ ओ मेघा चुप हो जा मेघा, मुन्ना मेरा सोय। खिल-खिल हँसता कभी मुलकता, मधुर स्वप्न में खोय।। घड़-घड़ भड़-भड़ जोर-जोर से, शोर मचाना छोड़। आँख लगी मुन्ने की अब तो,

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सरसी छंद ‘हे नाथ’

“सरसी छंद”

करो कृपा हे नाथ विनय मैं, करती बारम्बार।
श्रद्धा तुझमें बढ़ती जाये, तुम जीवन सुखसार।।

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सरसी छंद
बासुदेव अग्रवाल 'नमन'

सरसी छंद “राजनाथजी”

सरसी छंद जो कि कबीर छंद के नाम से भी जाना जाता है, चार पदों का सम-पद मात्रिक छंद है। इस में प्रति पद 27 मात्रा होती है। यति 16 और 11 मात्रा पर है अर्थात प्रथम चरण 16 मात्रा का तथा द्वितीय चरण 11 मात्रा का होता है। यह छंद सुमंदर छंद के नाम से भी जाना जाता है।

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