Categories
Archives

Category: कलाधर छंद

कलाधर छंद “योग साधना”

कलाधर छंद विधान –

पाँच बार “राज” पे “गुरो” ‘कलाधरं’ सुछंद।
षोडशं व पक्ष पे विराम आप राखिए।।
ये घनाक्षरी समान छंद है प्रवाहमान।
राचिये इसे सभी पियूष-धार चाखिये।।

पाँच बार “राज” पे “गुरो” = (रगण+जगण)*5 + गुरु। (212  121)*5+2
यानी गुरु लघु की 15 आवृत्ति के बाद गुरु यानी
21×15 + 2 तथा 16 और पक्ष=15 पर यति।

Read More »
Categories