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देव घनाक्षरी

(सिंहावलोकन के साथ)

भड़क के ऑफिस से, आज फिर सैंया आए,
लगता पड़ी है डाँटें, बॉस की कड़क कड़क।

कड़क गरजते हैं, घर में ये बिजली से,
वहाँ का दिखाए गुस्सा, यहाँ पे फड़क फड़क।

फड़क के बोले शब्द, दिल भेदे तीर जैसे,
छलनी कलेजा हुआ, करता धड़क धड़क,

धड़क बढे है ज्यों ज्यों, आ रहा रुदन भारी,
सुलगे जिया में अब, आग ये भड़क भड़क।।
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देव घनाक्षरी विधान :-

8, 8, 8, 9 पर यति अनिवार्य।
पदान्त हमेशा 3 लघु (1 1 1) आवश्यक। यह पदान्त भी पुनरावृत रूप में जैसे ‘चलत चलत’ रहे तो उत्तम।

घनाक्षरी विवेचन

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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

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