प्रदीप छंद ‘यादों के झोंके’
मीठी यादों के झोंकों ने,सींचा उपवन प्रेम का,
पत्थर सम हिय भाव विरह ने,रूप दिखाया हेम का।
लम्बी दूरी पल में तय कर,सुखद स्नेह आगोश में,
झूला प्रियतम की बाहों का,झूली तन्मय जोश में।
पत्ता-पत्ता हरा हुआ है,कोमल कलियाँ झूमती,
फूलों का मृदु आलिंगन पा,ज्यूँ तितली हों चूमती।
साँसों को है भान स्नेह का,भाव नेह विस्तार से,
चित्र प्रीत से सने हुये सब,चलते चित्राहार से।
आकर मन को हल्का करती,यादें आँसूधार है,
नम आँखों से निरखूँ प्रिय को,संवादों का सार है।
रिमझिम बूँदों ने झकझोरा,अधरों के रसपान से,
निखरा सावन मन का मेरा,कोयल के मृदु गान से।
सींचे क्यारी को जीवन की,यादें पहले प्यार की,
जीने को फिर प्रेरित करती,यह बेला अभिसार की।
पुलकित हिय का कोना-कोना,मन वीणा की तान से,
निखरी आभा मुखमण्डल की,हल्की सी मुस्कान से।
◆◆◆◆◆◆◆◆
प्रदीप छन्द विधान- (मात्रिक छंद परिभाषा)
यह प्रति पद 29 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है जो 16,13 मात्राओं के दो यति खण्डों में विभाजित रहता है।
दो दो पद या चारों पद समतुकांत होते हैं।
बेहतर समझने के लिये- पहला चरण चौपाई(16 मात्रा)+दूसरा चरण दोहे का विषम चरण(13 मात्रिक) होता है। दोनों चरणों का विधान और मात्रा बाँट भी ठीक चौपाई और दोहे के विषम चरण की ही रहती है। पदांत सदैव दीर्घ वर्ण रहता है।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
अठकल*2, अठकल 21 S = 16+13 = 29 मात्राएँ।
●●●●●●●●
शुचिता अग्रवाल,’शुचिसंदीप’
तिनसुकिया,असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
Superb.
धन्यवाद
प्रोत्साहन हेतु आपका हार्दिक आभार व्यक्त करती हूँ कृष्ण कुमार जी।
प्रकृति के माध्यम से “यादों का झोका “हमें अच्छा लगा।
उत्साहवर्धन हेतु आभार भैया।
शुचिता बहन जीवन की पुरानी स्मृतियों में डूबकर लिखी उत्कृष्ट रचना। सदैव की भाँती इस रचना के माध्यम से भी तुमने वेब साइट का परिचय एक नवीन छंद से कराया है।