मदनाग छंद
‘साइकिल’
सवारी जो प्रथम हमको मिली, सबसे प्यारी।
गुणों की खान ये है साइकिल, लगती न्यारी।।
बना कर संतुलन अपना सही, इस पर बैठें।
बड़े छोटे चलाते सब इसे, खुद में ऐठें।।
सुलभ व्यायाम करवाती चले, आलस हरती।
न फैलाती प्रदूषण साइकिल, फुर्ती भरती।।
खुला आकाश, ठंडी सी हवा, पैडल मारो।
गिरो भी तो उठो आगे बढो, कुछ ना धारो।।
भगाती दूर रोगों को कई, दुख हर लेती।
बढ़ाकर रक्त के संचार को, सेहत देती।।
इसी से आत्मनिर्भरता बढ़े, बढ़ते जाओ।
नवल सोपान पर उन्मुक्त हो, चढ़ते जाओ।।
बजा घंटी हटाओ भीड़ को, राह बनाओ।
बना कर लक्ष्य जीवन में बढो, सीख सिखाओ।।
न घबरा कर कभी भी भीड़ से, थमो न राही।
सवारी साइकिल की कर बनो, ‘शुचि’ उत्साही।।
●●●●●●●●●
मदनाग छंद विधान-
मदनाग छंद 25 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है जो 17-8 मात्राओं के दो यति खण्ड में विभक्त रहता है।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
1222 1222 12, 222S = (मदनाग) = 17+8 = 25 मात्रायें।
दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।
चूंकि यह मात्रिक छंद है अतः 2 को 11 में तोड़ा जा सकता है।
अंत में गुरु (2) अनिवार्य है।
मात्रिक छंद परिभाषा
◆◆◆◆◆◆◆◆
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
वाह साइकिल चलाने के दिनों की याद ताजा करती रचना।
हार्दिक आभार भाभी आपका।
बड़ी ये साइकिल प्यारी लगी, शुचिता बहना।
रची मदनाग नूतन छंद में, क्या है कहना।।
वाह इस नयी छंद में बिल्कुल नये विषय पर प्यारी रचना।
आपकी मधुर प्रतिक्रिया हेतु आभार।