तोमर छंद
‘सुशिक्षा’
अपनायें नवल जोश।
रखना है हमें होश।।
आडम्बर बुरी बात।
सदियों तक करे घात।।
कठपुतली बने लोग।
भूल जीवन उपयोग।।
अंधों की दौड़ छोड़।
लो अपनी राह मोड़।।
ज्ञान की आंखें खोल।
सत्य का समझो मोल।।
कौन सच झूठा कौन।
बैठ मत अब तू मौन।।
जीवन में सदाचार।
मानव तुम रखो धार।।
सत्कर्म करना धर्म।
लो समझ सीधा मर्म।।
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शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
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