Categories
Archives

Author: शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप'

नाम- शुचिता अग्रवाल 'शुचिसंदीप' (विद्यावाचस्पति)जन्मदिन एवम् जन्मस्थान- 26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान) पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया माता- स्वर्गीय चंदा देवीपरिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।काव्य रंगोली' द्वारा  'समाज भूषण-2018'"आगमन" द्वारा 'आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019' एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया '2022' प्राप्त हुआ है।साहित्य संगम संस्थान द्वारा "विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)" की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह "दर्पण" "साहित्य मेध" "मन की बात " "काव्य शुचिता" तथा "काव्य मेध" हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।

अवतार छंद, ‘गोरैया’

अवतार छंद 23 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।
यह 13 और 10 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहती है।

इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
2 2222 12, 2 3 S1S

Read More »

संपदा छंद ‘श्री गणेशाय नमः’

संपदा छंद 23 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।
यह 11 और 12 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहती है।

इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
2 22221, 2222 121

Read More »

ताटंक छंद ‘स्वच्छ भारत’

ताटंक छंद
सुंदर स्वच्छ बनेगा भारत, ऐसा शुभ दिन आएगा।
तन मन धन से भारतवासी ,जब आगे बढ़ जाएगा।।
अलग-अलग आलाप छोड़कर, मिलकर सुर में गाएगा ।

Read More »

कुकुभ छंद, ‘मेरा मन’

कुकुभ छंद गीत

जब-जब आह्लादित होता मन, गीत प्रणय के गाती हूँ,
खुशियाँ लेकर आये जो क्षण, फिर उनको जी जाती हूँ।

Read More »

लावणी छंद ” बेटियाँ”

लावणी छंद गीत

“बेटियाँ”

घर की रौनक होती बेटी, सर्व गुणों की खान यही।
बेटी होती जान पिता की, है माँ का अभिमान यही।।

Read More »

हास्य कुण्डलिया

“हास्य कुण्डलिया”

बहना तुमसे ही कहूँ, अपने हिय की बात,
जीजा तेरा कवि बना, बोले सारी रात।
बोले सारी रात, नींद में कविता गाये,
भृकुटी अपनी तान, वीर रस गान सुनाये।
प्रकट करे आभार, गजब ढाता यह कहना,
धरकर मेरा हाथ, कहे आभारी बहना।

Read More »

निश्चल छंद, ‘ऋतु शीत’

निश्चल छंद 23 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।
यह 16 और 7 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहती है। दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।

इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
2222 2222, 22S1

Read More »

लावणी छंद “हिन्दी”

लावणी छंद सम-पद मात्रिक छंद है। इस छंद में चार पद होते हैं, जिनमें प्रति पद 30 मात्राएँ होती हैं।

प्रत्येक पद दो चरण में बंटा हुआ रहता है जिनकी यति 16-14 पर निर्धारित होती है।

Read More »

शोभन छंद ‘मंगलास्तुति’

शोभन छंद जो कि सिंहिका छंद के नाम से भी जाना जाता है, 24 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है।
यह 14 और 10 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहता है। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
5 2 5 2, 212 1121

Read More »

सुमित्र छंद “मेरा भाई”

सुमित्र छंद 24 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है।
यह 10 और 14 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहता है। इसका चरणादि एवं चरणान्त जगण (121) से होना अनिवार्य है। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
121 222, 2222 (अठकल) 2121

Read More »

सारस छंद ‘जीवन रहस्य’

सारस छंद 24 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है।
यह 12 और 12 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहता है। चरणादि गुरु वर्ण तथा विषमकल होना अनिवार्य है। चरणान्त सगण (112) से होता है।

Read More »

सारस छंद, ‘संकल्प’

सारस छंद 24 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है।
यह 12 और 12 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहता है। चरणादि गुरु वर्ण तथा विषमकल होना अनिवार्य है। चरणान्त सगण (112) से होता है।

इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
2112 2112, 2112 2112

Read More »

दिगपाल छंद ‘पिता’

दिगपाल छंद जो कि मृदुगति छंद के नाम से भी जाना जाता है, 24 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है।
यह 12 और 12 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहता है। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
2212 122, 2212 122

Read More »

मदनाग छंद ‘साइकिल’

मदनाग छंद 25 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है जो 17-8 मात्राओं के दो यति खण्ड में विभक्त रहता है।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-

1222 1222 12, 222S

Read More »

सुगीतिका छंद, ‘मेरे लाल’

सुगीतिका छंद विधान-

सुगीतिका छंद 25 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है जो 15-10 मात्राओं के दो यति खण्ड में विभक्त रहता है।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-

1 2122*2, 2122 21

Read More »

तोटक छंद ‘उठ भोर हुई’

तोटक छंद ‘उठ भोर हुई’

उठ भोर हुई बगिया महके।
चिड़िया मदमस्त हुई चहके।।
झट आलस त्याग करो अपना।
तब ही सच हो सबका सपना।।

Read More »

कामरूप /वैताल छंद ‘माँ की रसोई’

कामरूप छंद
माँ की रसोई, श्रेष्ठ होई, है न इसका तोड़।
जो भी पकाया, खूब खाया, रोज लगती होड़।।
हँसकर बनाती, वो खिलाती, प्रेम से खुश होय।
था स्वाद मीठा, जो पराँठा, माँ खिलाती पोय।।

Read More »

गगनांगना छंद ‘आखा तीज’

गगनांगना छंद 25 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है जो 16 और 9 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहता है। दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।

इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
2222 2222, 22 S1S

Read More »
Categories