इस वेब साइट को “कविकुल” जैसा सार्थक नाम दे कर निर्मित करने का प्रमुख उद्देश्य हिन्दी भाषा के कवियों को एक सशक्त मंच उपलब्ध कराना है जहाँ वे अपनी रचनाओं को प्रकाशित कर सकें उन रचनाओं की उचित समीक्षा हो सके, साथ में सही मार्ग दर्शन हो सके और प्रोत्साहन मिल सके।
यह “कविकुल” वेब साइट उन सभी हिन्दी भाषा के कवियों को समर्पित है जो हिन्दी को उच्चतम शिखर पर पहुँचाने के लिये जी जान से लगे हुये हैं जिसकी वह पूर्ण अधिकारिणी है। आप सभी का इस नयी वेब साइट “कविकुल” में हृदय की गहराइयों से स्वागत है।
“यहाँ काव्य की रोज बरसात होगी।
कहीं भी न ऐसी करामात होगी।
नहाओ सभी दोस्तो खुल के इसमें।
बड़ी इससे क्या और सौगात होगी।।”
कुण्डलिया छंद ‘मोबाइल’
कुण्डलिया छंद ‘मोबाइल’ मोबायल अर्धांगिनी, सब पतियों की आज। उसके खातिर छोड़ दे, पतिगण दैनिक काज।। पतिगण दैनिक काज, छोड़ मोबायल लेते। पत्नी पर कर
प्लवंगम छंद “सरिता”
प्लवंगम छंद विधान –
यह चार पदों का 21 मात्रा का सम पद मात्रिक छंद है। दो दो पद सम तुकांत रहने आवश्यक हैं।
मात्रा बाँट:- अठकल*2 – द्विकल -लघु – द्विकल
मजदूरी कर पेट भराँ हाँ (राजस्थानी गीत)
राजस्थानी गीत
मजदूरी कर पेट भराँ हाँ
जीवन री घाणी मं पिस पिस,
दोरा दिन स्यूँ म्हे उबराँ हाँ।
मजदूरी कर पेट भराँ हाँ।।
दोहा छंद “विवाह में गणपति निमंत्रण”
दोहा छंद “विवाह में गणपति निमंत्रण” प्रथम निमंत्रण आपको, विघ्न विनायक नाथ। पग पग पर रहना सदा, आप ब्याह में साथ।। सकल सुखद संजोग से,
रथपद छंद “मधुर स्मृति”
रथपद छंद विधान –
“ननुसगग” वरण की छंदा।
‘रथपद’ रचत सभी बंदा।।
“ननुसगग” = नगण नगण सगण गुरु गुरु।
पीयूष वर्ष छंद (वर्षा वर्णन)
पीयूष वर्ष छंद मात्रिक छंद है। प्रत्येक पद 10, 9 मात्रा के दो चरणों में विभक्त रहता है। पद की मात्रा बाँट 2122 21, 22 21S होती है।
दोहा छंद, ‘कुलदेवी’
कुलदेवी पर दोहे प्रथम विनायक को भजें, प्रभु का लें फिर नाम।। कुलदेवी जयकार से, शुरू करें शुभ काम।। सर्व सुमंगल दायिनी, हे कुलदेवी मात।
रत्नकरा छंद “अतृप्त प्रीत”
रत्नकरा छंद विधान –
“मासासा” नव अक्षर लें।
प्यारी ‘रत्नकरा’ रस लें।।
“मासासा” = मगण सगण सगण।
( 222 112 112 ) = 9 वर्ण का वर्णिक छंद।
लावणी छंद, पर्यायवाची कविता
लावणी छंद, पर्यायवाची कविता पर्यायवाची शब्द याद करने का छंदबद्ध कविता के माध्यम से आसान उपाय- एक अर्थ के विविध शब्द ही, कहलाते पर्याय सभी। भाषा