इस वेब साइट को “कविकुल” जैसा सार्थक नाम दे कर निर्मित करने का प्रमुख उद्देश्य हिन्दी भाषा के कवियों को एक सशक्त मंच उपलब्ध कराना है जहाँ वे अपनी रचनाओं को प्रकाशित कर सकें उन रचनाओं की उचित समीक्षा हो सके, साथ में सही मार्ग दर्शन हो सके और प्रोत्साहन मिल सके।
यह “कविकुल” वेब साइट उन सभी हिन्दी भाषा के कवियों को समर्पित है जो हिन्दी को उच्चतम शिखर पर पहुँचाने के लिये जी जान से लगे हुये हैं जिसकी वह पूर्ण अधिकारिणी है। आप सभी का इस नयी वेब साइट “कविकुल” में हृदय की गहराइयों से स्वागत है।
“यहाँ काव्य की रोज बरसात होगी।
कहीं भी न ऐसी करामात होगी।
नहाओ सभी दोस्तो खुल के इसमें।
बड़ी इससे क्या और सौगात होगी।।”
हरिगीतिका छंद “माँ और उसका लाल”
हरिगीतिका छंद चार पदों का एक सम-पद मात्रिक छंद है। प्रति पद 28 मात्राएँ होती हैं तथा यति 16 और 12 मात्राओं पर होती है। मात्रा बाँट-
2212 2212 2212 221S

पंचचामर छंद ” हनुमान स्तुति”
पंचचामर छंद “हनुमान स्तुति”
उपासना करें सभी, महाबली कपीश की,
विराट दिव्य रूप की, दयानिधान ईश की।
मनहरण घनाक्षरी “कतार”
मनहरण घनाक्षरी छंद
जनसंख्या भीड़ दिन्ही, भीड़ धक्का-मुक्की किन्ही,
धक्का-मुक्की से ही बनी, व्यवस्था कतार की।
पंचचामर छंद “देहाभिमान”
पंचचामर छंद जो कि नाराच छंद के नाम से भी जाना जाता है, १६ वर्ण प्रति पद का वर्णिक छंद है।
लघु गुरु x 8 = 16 वर्ण, यति 8+8 वर्ण पर।

चंद्रमणि छंद “गिल्ली डंडा”
चंद्रमणि छंद 13 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है। इन 13 मात्राओं की मात्रा बाँट ठीक दोहा छंद के विषम चरण वाली है जो 8 2 1 2 = 13 मात्रा है।
निश्चल छंद, ‘ऋतु शीत’
निश्चल छंद 23 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।
यह 16 और 7 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहती है। दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
2222 2222, 22S1
दोहा छंद “वयन सगाई अलंकार”
चारणी साहित्य मे दोहा छंद के कई विशिष्ट अलंकार हैं, उन्ही में सें एक वयन सगाई अलंकार (वैण सगाई अलंकार) है। दोहा छंद के हर चरण का प्रारंभिक व अंतिम शब्द एक ही वर्ण से प्रारंभ हो तो यह अलंकार सिद्ध होता है।
लावणी छंद “हिन्दी”
लावणी छंद सम-पद मात्रिक छंद है। इस छंद में चार पद होते हैं, जिनमें प्रति पद 30 मात्राएँ होती हैं।
प्रत्येक पद दो चरण में बंटा हुआ रहता है जिनकी यति 16-14 पर निर्धारित होती है।
उल्लाला छंद “किसान”
उल्लाला छंद 26 मात्रिक छंद है जिसके चरण 13-13 मात्राओं के यति खण्डों में विभाजित रहते हैं। चरण की मात्रा बाँट: अठकल + द्विकल + लघु + द्विकल है।