रसना छंद “पथिक आह्वाहन”
रसना छंद विधान –
“नयसननालाग”, रखें सत अरु दश यतिं।
मधु ‘रसना’ छंद, रचें ललित मृदुल गतिं।
“नयसननालाग” = नगण यगण सगण नगण नगण लघु गुरु।
रथोद्धता छंद “आह्वाहन”
रथोद्धता छंद विधान –
“रानरा लघु गुरौ” ‘रथोद्धता’।
तीन वा चतुस तोड़ के सजा।
“रानरा लघु गुरौ” = 212 111 212 12
32 मात्रिक छंद
32 मात्रिक छंद :
जाग उठो हे वीर जवानों, तुमने अब तक बहुत सहा है।
त्यज दो आज नींद ये गहरी, देश तुम्हें ये बुला रहा है।।
छोड़ो आलस का अब आँचल, अरि-ऐंठन का कर दो मर्दन।
टूटो मृग झुंडों के ऊपर, गर्जन करते केहरि सम बन।।1।।