रास छंद “कृष्णावतार”
रास छंद विधान –
रास छंद 22 मात्राओं का सम पद मात्रिक छंद है जिसमें 8, 8, 6 मात्राओं पर यति होती है। पदान्त 112 से होना आवश्यक है। मात्रा बाँट प्रथम और द्वितीय यति में एक अठकल या 2 चौकल की है। अंतिम यति में 2 – 1 – 1 – 2(ऽ) की है।
भक्ति छंद “कृष्ण-विनती”
भक्ति छंद विधान –
“तायाग” सजी क्या है।
ये ‘भक्ति’ सुछंदा है।।
“तायाग” = तगण यगण, गुरु
जनहरण घनाक्षरी “ब्रज-छवि”
जनहरण घनाक्षरी विधान :-
चार पदों के इस छन्द में प्रत्येक पद में कुल वर्ण संख्या 31 होती है। इसमें पद के प्रथम 30 वर्ण लघु रहते हैं तथा केवल पदान्त दीर्घ रहता है।
चामर छंद “मुरलीधर छवि”
चामर छंद विधान –
“राजराजरा” सजा रचें सुछंद ‘चामरं’।
पक्ष वर्ण छंद गूँज दे समान भ्रामरं।।
“राजराजरा” = रगण जगण रगण जगण रगण