मरहठा छंद “कृष्ण लीलामृत”
मरहठा छंद प्रति पद कुल 29 मात्रा का सम-पद मात्रिक छंद है। इसमें यति विभाजन 10, 8,11 मात्रा का है।
मात्रा बाँट:-
प्रथम यति 2+8 =10 मात्रा
द्वितीय यति 8,
तृतीय यति 8+3 (ताल यानि 21) = 11 मात्रा
रमणीयक छंद “कृष्ण महिमा”
रमणीयक छंद विधान –
वर्ण राख कर पंच दशं “रनभाभरा”।
छंद राच ‘रमणीयक’ हो मन बावरा।।
“रनभाभरा” = रगण नगण भगण भगण रगण।
मनविश्राम छंद “माखन लीला”
मनविश्राम छंद विधान –
“भाभभुभाभनुया” यति दें, दश रुद्र वरण अभिरामा।
छंद रचें कवि वृन्द सभी, मनभावन ‘मनविशरामा’।।
“भाभभुभाभनुया” = भगण की 5 आवृत्ति फिर नगण यगण।
211 211 211 2,11 211 111 122 = कुल 21 वर्ण का वर्णिक छंद, यति 10 और 11 वर्ण।
मधुमती छंद “मधुवन महके”
मधुमती छंद विधान –
“ननग” गणन की।
मधुर ‘मधुमती’।।
“ननग” = (नगण नगण गुरु)
111 111 2 = 7 वर्ण का वर्णिक छंद।
भानु छंद ‘श्याम प्रार्थना’
भानु छंद ‘श्याम प्रार्थना” मुरलीधर, तू ही जग का पालनहार। ब्रजवासी, तुझमें बसता यह संसार।। यदुकुल में, लिया कृष्ण बनकर अवतार। अविनाशी, इस जग का तू ही हो सार।। यशुमति माँ, नंद पिता भ्राता बलराम। वृंदावन, सुंदर तेरो गोकुल धाम।। सरसाये, रुक्मणि राधा ह्रदय अपार। आनंदित, देख तुझे ब्रज के नर-नार।। सुरपति का, क्रोध देख […]
चंचरीक छंद “बाल कृष्ण”
चंचरीक छंद या हरिप्रिया छंद चार प्रति पद 46 मात्राओं का सम मात्रिक दण्डक है। इसका यति विभाजन (12+12+12+10) = 46 मात्रा है। मात्रा बाँट – 12 मात्रिक यति में 2 छक्कल का तथा अंतिम यति में छक्कल+गुरु गुरु है।
पवन छंद “श्याम शरण”
पवन छंद विधान –
“भातनसा” से, ‘पवन’ सजति है।
पाँच व सप्ता, वरणन यति है।।
“भातनसा” = भगण तगण नगण सगण।
211 22,1 111 112
डमरू घनाक्षरी “नटवर”
डमरू घनाक्षरी 32 वर्ण प्रति पद की घनाक्षरी है। इस घनाक्षरी की खास बात जो है वह यह है कि ये 32 के 32 वर्ण लघु तथा मात्रा रहित होने चाहिए।
तरलनयन छंद ‘नटवर छवि’
तरलनयन छंद विधान –
चतुष नगण, षट षट यति।
‘तरलनयन’, धरतत गति।।
तरलनयन छंद चार नगण से युक्त 12 वर्ण का वर्णिक छंद है। इसमें सब लघु वर्ण रहने चाहिए। यति छह छह वर्ण पर है।
मकरन्द छंद ‘कन्हैया वंदना’
मकरन्द छंद विधान –
“नयनयनाना, ननगग” पाना,
यति षट षट अठ, अरु षट वर्णा।
मधु ‘मकरन्दा’, ललित सुछंदा,
रचत सकल कवि, यह मृदु कर्णा।।
रास छंद “कृष्णावतार”
रास छंद विधान –
रास छंद 22 मात्राओं का सम पद मात्रिक छंद है जिसमें 8, 8, 6 मात्राओं पर यति होती है। पदान्त 112 से होना आवश्यक है। मात्रा बाँट प्रथम और द्वितीय यति में एक अठकल या 2 चौकल की है। अंतिम यति में 2 – 1 – 1 – 2(ऽ) की है।
भक्ति छंद “कृष्ण-विनती”
भक्ति छंद विधान –
“तायाग” सजी क्या है।
ये ‘भक्ति’ सुछंदा है।।
“तायाग” = तगण यगण, गुरु
जनहरण घनाक्षरी “ब्रज-छवि”
जनहरण घनाक्षरी विधान :-
चार पदों के इस छन्द में प्रत्येक पद में कुल वर्ण संख्या 31 होती है। इसमें पद के प्रथम 30 वर्ण लघु रहते हैं तथा केवल पदान्त दीर्घ रहता है।
चामर छंद “मुरलीधर छवि”
चामर छंद विधान –
“राजराजरा” सजा रचें सुछंद ‘चामरं’।
पक्ष वर्ण छंद गूँज दे समान भ्रामरं।।
“राजराजरा” = रगण जगण रगण जगण रगण