चित्रपदा छन्द “गुरु वंदना”
चित्रपदा छन्द विधान-
211 211 2 2 = भगण, भगण, गुरु, गुरु
कुल 8 वर्ण की वर्णिक छंद।
चार चरण, दो-दो समतुकांत या चारो समतुकांत।
अनुष्टुप छंद
अनुष्टुप छंद विधान:
यह छंद अर्धसमवृत्त है । इस के प्रत्येक चरण में आठ वर्ण होते हैं । पहले चार वर्ण किसी भी मात्रा के हो सकते हैं । पाँचवाँ लघु और छठा वर्ण सदैव गुरु होता है । सम चरणों में सातवाँ वर्ण ह्रस्व और विषम चरणों में गुरु होता है। आठवाँ वर्ण संस्कृत में तो लघु या गुरु कुछ भी हो सकता है। संस्कृत में छंद के चरण का अंतिम वर्ण लघु होते हुये भी दीर्घ उच्चरित होता है जबकि हिन्दी में यह सुविधा नहीं है। अतः हिन्दी में आठवाँ वर्ण सदैव दीर्घ ही होता है।
गुरु की गरिमा भारी, उसे नहीं बिगाड़ना।
हरती विपदा सारी, हितकारी प्रताड़ना।।