रुचि छंद “कालिका स्तवन”
रुचि छंद विधान –
“ताभासजा, व ग” यति चार और नौ।
ओजस्विनी, यह ‘रुचि’ छंद राच लौ।।
“ताभासजा, व ग” = तगण भगण सगण जगण गुरु।
मत्तगयंद सवैया छंद
मत्तगयंद सवैया छंद की संरचना प्रति चरण 211× 7 + 22 है।
पाप बढ़े चहुँ ओर भयानक हाथ कृपाण त्रिशूलहु धारो।
रक्त पिपासु लगे बढ़ने दुखके महिषासुर को अब टारो।
नरहरि छंद “जय माँ दुर्गा”
नरहरि छंद एक सम पद मात्रिक छंद है, जिसमें प्रति पद १९ मात्रा रहती हैं। १४, ५ मात्रा पर यति का विधान है।
जय जग जननी जगदंबा, जय जया।
नव दिन दरबार सजेगा, नित नया।।