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सरस छंद “ममतामयी माँ”

सरस छंद 14 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है जिसका अंत नगण (111) से होना आवश्यक है। इसमें 7 – 7 मात्राओं पर यति अनिवार्य है।

लावणी छंद ‘एक चिट्ठी माँ के नाम’

लावणी छंद ‘एक चिट्ठी माँ के नाम’ लिखने बैठी माँ को चिट्ठी, हाल सभी बतलाती है। नन्हे मन की अति व्याकुलता, खोल हृदय दिखलाती है।। लिखती वो सब ठीक चल रहा, बदला कुछ यूँ खास नहीं। एक नई माँ आयी है अब, दिखती बस तू ही न कहीं। भाई छोटू भी आया है, सबका राज […]

चौपाई छंद ‘माँ की वेदना’

चौपाई छंद ‘माँ की वेदना’ बेटी ने खुशियाँ बरसाई। जिस दिन वो दुनिया में आई।। उसके आने से मन महका। कोना-कोना घर का चहका।। जीवन में फैला उजियारा। समय बीतता उस पर सारा।। झूला बाहों का था डाला। हरख-हरख बेटी को पाला।। वो रोती तो मैं रो देती। हँसती तो मैं भी हँस लेती।। नखरे […]

‘ताटंक छंद,’ ‘माता-पिता’

ताटंक छंद गीत

प्रतिमाओं की पूजा करने, हम मंदिर में जाते हैं।
जिस घर मात-पिता खुश रहते, उस घर ईश्वर आते हैं।

हीर छंद, ‘माँ’

हीर छंद 23 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।
यह 6, 6, 6 5 के तीन यति खंडों में विभक्त रहती है। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
S22, 222, 222 S1S

हरिगीतिका छंद “माँ और उसका लाल”

हरिगीतिका छंद चार पदों का एक सम-पद मात्रिक छंद है। प्रति पद 28 मात्राएँ होती हैं तथा यति 16 और 12 मात्राओं पर होती है। मात्रा बाँट-
2212 2212 2212 221S

कामरूप /वैताल छंद ‘माँ की रसोई’

कामरूप छंद
माँ की रसोई, श्रेष्ठ होई, है न इसका तोड़।
जो भी पकाया, खूब खाया, रोज लगती होड़।।
हँसकर बनाती, वो खिलाती, प्रेम से खुश होय।
था स्वाद मीठा, जो पराँठा, माँ खिलाती पोय।।

सुमेरु छंद “माँ”

सुमेरु छंद विधान –

सुमेरु छंद 1222 1222 122 मापनी का एक सम पद मात्रिक छंद है, जिसमें प्रति पद १९ मात्रा रहती हैं। सुमेरु छंद में 12,7 अथवा 10,9 पर दो तरह से यति निर्वाह किया जा सकता है।

यशोदा छंद “प्यारी माँ”

यशोदा छंद विधान –

रखो “जगोगा” ।
रचो ‘यशोदा’।।

“जगोगा” = जगण, गुरु गुरु 
121 2 2= 5 वर्ण की वर्णिक छंद।