कुण्डलिया छंद ‘मोबाइल’
कुण्डलिया छंद ‘मोबाइल’ मोबायल अर्धांगिनी, सब पतियों की आज। उसके खातिर छोड़ दे, पतिगण दैनिक काज।। पतिगण दैनिक काज, छोड़ मोबायल लेते। पत्नी पर कर क्रोध, गालियाँ जब-तब देते।। कैसी आयी सौत, नारियाँ है सब घायल। प्रेम पिया का छीन, ले गया ये मोबायल।। कुण्डलिया छंद “विधान” ◆◆◆◆◆◆◆ शुचिता अग्रवाल “शुचिसंदीप” तिनसुकिया, असम शुचिता अग्रवाल […]
कुण्डलिया छंद “मोबायल”
कुण्डलिया छंद
मोबायल से मिट गये, बड़ों बड़ों के खेल।
नौकर, सेठ, मुनीमजी, इसके आगे फेल।
इसके आगे फेल, काम झट से निपटाता।
मुख को लखते लोग, मार बाजी ये जाता।
निकट समस्या देख, करो नम्बर को डॉयल।
सौ झंझट इक साथ, दूर करता मोबायल।।