कुंडल छंद “ताँडव नृत्य”

कुंडल छंद 22 मात्रा का सम मात्रिक छंद है जिसमें 12,10 मात्रा पर यति रहती है। अंत में दो गुरु आवश्यक; यति से पहले त्रिकल आवश्यक। मात्रा बाँट :- 6+3+3, 6+SS
स्रग्धरा छंद “शिव स्तुति”
स्त्रग्धरा छंद विधान –
“माराभाना ययाया”, त्रय-सत यति दें, वर्ण इक्कीस या में।
बैठा ये सूत्र न्यारा, मधुर रसवती, ‘स्त्रग्धरा’ छंद राचें।।
“माराभाना ययाया”= मगण, रगण, भगण, नगण, तथा लगातार तीन यगण। (कुल 21 अक्षरी)
बृहत्य छंद

बृहत्य छंद विधान –
बृहत्य छंद 9 वर्ण प्रति चरण का वर्णिक छन्द है जिसका वर्ण विन्यास 122*3 है। इस चार चरणों के छंद में 2-2 अथवा चारों चरणों में समतुकांतता रखी जाती है। यह छंद वाचिक स्वरूप में अधिक प्रसिद्ध है
त्रिलोकी छंद
त्रिलोकी छंद विधान-
यह प्रति पद 21 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है जो 11,10 मात्राओं के दो यति खण्डों में विभाजित रहता है। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
अठकल + गुरु और लघु, त्रिकल + द्विकल + द्विकल + लघु और गुरु = 11, 10 = 21 मात्राएँ।
इन्द्रवज्रा छंद
इन्द्रवज्रा छंद विधान:
“ताता जगेगा” यदि सूत्र राचो।
तो ‘इन्द्रवज्रा’ शुभ छंद पाओ।
“ताता जगेगा” = तगण, तगण, जगण, गुरु, गुरु
221 221 121 22
**************
उपेन्द्रवज्रा छंद विधान:
“जता जगेगा” यदि सूत्र राचो।
‘उपेन्द्रवज्रा’ तब छंद पाओ।
“जता जगेगा” = जगण, तगण, जगण, गुरु, गुरु
121 221 121 22
**************
उपजाति छंद विधान:
उपेंद्रवज्रा अरु इंद्रवज्रा।
दोनों मिले तो ‘उपजाति’ छंदा।।