वंशस्थ छंद “शीत-वर्णन”
वंशस्थ छंद विधान –
“जताजरौ” द्वादश वर्ण साजिये।
प्रसिद्ध ‘वंशस्थ’ सुछंद राचिये।।
“जताजरौ” = जगण, तगण, जगण, रगण
शीत, शरद ऋतु से संबंधित रचनाएँ।
वंशस्थ छंद विधान –
“जताजरौ” द्वादश वर्ण साजिये।
प्रसिद्ध ‘वंशस्थ’ सुछंद राचिये।।
“जताजरौ” = जगण, तगण, जगण, रगण