दीप छंद, ‘सर्दी’
दीप छंद, “सर्दी” चाहूँ गरम चाय, मौसम गजब ढाय। बरसे बहुत मेह, काँपे सकल देह।। सर्दी बहुत आज, करने सकल काज। कितनी कड़क भोर, दिन में तमस घोर।। कड़के गरज व्योम, अकड़े सकल रोम। कम्बल निकट लाय, सो लूँ तनिक खाय।। हो प्रिय अगर पास, होता दिवस खास। व्याकुल हृदय मीत, तुम बिन कठिन शीत।। […]
निश्चल छंद, ‘ऋतु शीत’
निश्चल छंद 23 मात्रा प्रति पद की सम मात्रिक छंद है।
यह 16 और 7 मात्रा के दो यति खंड में विभक्त रहती है। दो दो या चारों पद समतुकांत होते हैं।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
2222 2222, 22S1
वंशस्थ छंद “शीत-वर्णन”
वंशस्थ छंद विधान –
“जताजरौ” द्वादश वर्ण साजिये।
प्रसिद्ध ‘वंशस्थ’ सुछंद राचिये।।
“जताजरौ” = जगण, तगण, जगण, रगण