घनश्याम छंद “दाम्पत्य सुख”
घनश्याम छंद विधान –
“जजाभभभाग”, में यति छै, दश वर्ण रखो।
रचो ‘घनश्याम’, छंद अतीव ललाम चखो।।
“जजाभभभाग” = जगण जगण भगण भगण भगण गुरु।
दिंडी छंद ‘सुख सार’
दिंडी छंद विधान –
दिंडी छंद एक सम पद मात्रिक छंद है, जिसमें प्रति पद १९ मात्रा रहती हैं जो ९ और १० मात्रा के दो यति खंडों में विभाजित रहती हैं।दोनों चरणों की मात्रा बाँट निम्न प्रकार से है।
त्रिकल, द्विकल, चतुष्कल = ३ २ ४ = ९ मात्रा।
छक्कल, दो गुरु वर्ण (SS) = १० मात्रा।
निधि छंद “सुख-सार”
निधि छंद विधान –
यह नौ मात्रा का सम मात्रिक चार चरणों का छंद है। इसका चरणान्त ताल यानी गुरु लघु से होना आवश्यक है। बची हुई 6 मात्राएँ छक्कल होती हैं।