मनोज्ञा छंद “होली”
मनोज्ञा छंद विधान –
“नरगु” वर्ण सप्ता।
रचत है ‘मनोज्ञा’।।
“नरगु” = नगण रगण गुरु
111 212 + गुरु = 7 वर्ण का वर्णिक छंद।
मोहन छंद ‘होली प्रेम’
मोहन छंद ‘होली प्रेम’ केशरी, घटा घनी, वृक्ष सकल, झूम रहे। मोहनी, बयार को, मोर सभी, चूम रहे।। दृश्य यह, प्रेमभरा, राधा को, तंग करे। श्याम कब, आओगे, हाथों में, चंग धरे।। रंग से, अंग रंग, पिचकारी, भर लाओ। गोपियाँ, रूठ रही, कहें सभी, अब आओ।। भाव सब, श्याम सुने, दौड़ पड़े, गलियों में। ढूँढते, […]
मनहरण घनाक्षरी “होली के रंग”
मनहरण घनाक्षरी
होली के रंग (1)
होली की मची है धूम, रहे होलियार झूम,
मस्त है मलंग जैसे, डफली बजात है।
मरहठा माधवी छंद “होली”
मरहठा माधवी छंद 29 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
अठकल + त्रिकल, त्रिकल + गुरु + त्रिकल, त्रिकल + गुरु + गुरु + लघु + गुरु(S)
संयुत छंद
संयुत छंद विधान:-
“सजजाग” ये दश वर्ण दो।
तब छंद ‘संयुत’ स्वाद लो।।
“सजजाग” = सगण जगण जगण गुरु
112 121 121 2 = 10 वर्ण।