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चोखो भारत (राजस्थानी)

म्हारो भारत घणो है चोखो,
सगळै जग सै यो है अनोखो।
ई री शोभा ताराँ सै झिलमिल,
जस गावाँ आपाँ सब हिलमिल।

आल्हा छंद  ‘सैनिक’

आल्हा छंद ‘सैनिक’ मैं सैनिक निज कर्तव्यों से, कैसे सकता हूँ मुँह मोड़। प्रबल भुजाओं की ताकत से, रिपु दल का दूँगा मुँह तोड़।। मातृभूमि की रक्षा करने, खड़ा रहूँ बन्दूकें तान। कहता है फौलादी सीना, मैं सैनिक हूँ अति बलवान।। डटा रहूँगा सीमा पर मैं, खुद भागेंगे अरि रण छोड़। प्रबल भुजाओं की ताकत […]

भव छंद “जागो भारत”

भव छंद विधान –

भव छंद 11 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है जिसका अंत गुरु वर्ण (S) से होना आवश्यक है । चरणांत के आधार पर इन 11 मात्राओं के दो विन्यास हैं। प्रथम 8 1 2(S) और दूसरा 6 1 22(SS)।

ताटंक छंद ‘स्वच्छ भारत’

ताटंक छंद
सुंदर स्वच्छ बनेगा भारत, ऐसा शुभ दिन आएगा।
तन मन धन से भारतवासी ,जब आगे बढ़ जाएगा।।
अलग-अलग आलाप छोड़कर, मिलकर सुर में गाएगा ।

ग्रंथि छंद “देश का ऊँचा सदा”

ग्रंथि छंद चार पदों का एक सम मात्रिक छंद है जिसमें प्रति पद 19 मात्राएँ होती हैं तथा प्रत्येक पद 12 और 7 मात्रा की यति में विभक्त रहता है।

2122 212,2 212

भुजंगी छंद ‘गीत’

भुजंगी छंद 11 वर्ण प्रति चरण का वर्णिक छंद है जिसका वर्ण विन्यास 122*3 + 12 है।

सुमति छंद “भारत देश”

सुमति छंद विधान –
गण “नरानया” जब सज जाते।
‘सुमति’ छंद की लय बिखराते।।

“नरानया” = नगण रगण नगण यगण =111 212 111 122

धारा छंद ‘तिरंगा’

धारा छंद 29 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
अठकल + छक्कल + लघु, अठकल + छक्कल(S)
2222 2221, 2222 222 (S)

आँसू छंद “कल और आज”

आँसू छंद प्रति पद 28 मात्रा का सम पद मात्रिक छंद है। छंद का पद 14 – 14 मात्रा के दो यति खण्डों में विभक्त रहता है।

भारत तू कहलाता था, सोने की चिड़िया जग में।
तुझको दे पद जग-गुरु का, सब पड़ते तेरे पग में।

हंसगति छंद “भारत”

हंसगति छंद विधान –

हंसगति छंद बीस मात्रा प्रति पद का मात्रिक छंद है जिसमें ग्यारहवीं और नवीं मात्रा पर विराम होता है। प्रथम चरण की मात्रा बाँट ठीक दोहे के सम चरण वाली तथा 9 मात्रिक द्वितीय चरण की मात्रा बाँट 3 + 2 + 4 है।

शिखरिणी छंद “भारत वंदन”

शिखरिणी छंद विधान –

रखें छै वर्णों पे, यति “यमनसाभालग” रचें।
चतुष् पादा छंदा, सब ‘शिखरिणी’ का रस चखें।।

“यमनसाभालग” = यगण, मगण, नगण, सगण, भगण लघु गुरु ( कुल 17 वर्ण)

त्रिभंगी छंद “भारत की धरती”

त्रिभंगी छंद विधान –

त्रिभंगी प्रति पद 32 मात्राओं का सम पद मात्रिक छंद है। प्रत्येक पद में 10, 8, 8, 6 मात्राओं पर यति होती है। यह 4 पद का छंद है। प्रथम व द्वितीय यति समतुकांत होनी आवश्यक है। परन्तु अभ्यांतर समतुकांतता यदि तीनों यति में निभाई जाय तो सर्वश्रेष्ठ है।