तोटक छंद ‘उठ भोर हुई’
तोटक छंद ‘उठ भोर हुई’
उठ भोर हुई बगिया महके।
चिड़िया मदमस्त हुई चहके।।
झट आलस त्याग करो अपना।
तब ही सच हो सबका सपना।।
सवेरा, भोर, प्रातःकाल से संबंधित रचनाएँ।
तोटक छंद ‘उठ भोर हुई’
उठ भोर हुई बगिया महके।
चिड़िया मदमस्त हुई चहके।।
झट आलस त्याग करो अपना।
तब ही सच हो सबका सपना।।