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मत्तगयंद सवैया “हरि गुण”

मत्तगयंद सवैया छंद 23 वर्ण प्रति चरण का एक सम वर्ण वृत्त है। यह सवैया भगण (211) पर आश्रित है, जिसकी 7 आवृत्ति और अंत में दो गुरु वर्ण प्रति चरण में रहते हैं। इसकी संरचना 211× 7 + 22 है।

चांद्रायण छंद ‘सुमिरन’

चांद्रायण छंद  ‘सुमिरन’ हरि के नाम अनेक, जपा नित कीजिये। आठों याम सचेत, सुधा रस पीजिये।। महिमा बड़ी विराट, नित स्मरण में रखें। मन से नाम पुकार, कृपा प्रभु की लखें।। पढ़लें ग्रन्थ अनेक, सुधिजन सभी कहें। स्थायी ये न शरीर, मकानों से ढहें। खाली हाथ पसार, जगत सब छोड़ते माया, मोह, विलास, त्याग पथ […]

सुगति छंद ‘भगवान हो’

सुगति छंद / शुभगति छंद 7 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है जिसका अंत गुरु वर्ण (S) से होना आवश्यक है।

रुचिरा छंद “भक्ति मुक्तक”

रुचिरा छंद “भक्ति मुक्तक”

राम रसायन के दाता, हनुमान सभी पर कृपा करें।
त्राहि-त्राहि के बोल सुनें, प्रभु अपना करतल वरद धरें।
कल्पनेश अति दीन-दुखी, नित यशस् आप का है गाता।
तनिक अनुग्रह ही करके, हरि इसके चित्त विकार हरें।1।