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रथपद छंद “मधुर स्मृति”

रथपद छंद विधान –

“ननुसगग” वरण की छंदा।
‘रथपद’ रचत सभी बंदा।।

“ननुसगग” = नगण नगण सगण गुरु गुरु।

प्रदीप छंद ‘यादों के झोंके’

प्रदीप छंद विधान-

यह प्रति पद 29 मात्राओं का सम मात्रिक छंद है जो 16,13 मात्राओं के दो यति खण्डों में विभाजित रहता है।
दो दो पद या चारों पद समतुकांत होते हैं।

विष्णुपद छन्द “फूल मोगरे के”

विष्णुपद छन्द विधान-

विष्णुपद छन्द सम मात्रिक छन्द है। यह 26 मात्राओं का छन्द है जिसमें 16,10 मात्राओं पर यति आवश्यक है।अंत में वाचिक भार 2 यानि गुरु का होना अनिवार्य है।कुल चार चरण होते हैं क्रमागत दो-दो या चारों चरण समतुकांत होने चाहिये।