मणिमध्या छंद ‘नैतिक शिक्षा’
मणिमध्या छंद विधान-
मणिमध्या मापनीयुक्त वर्णिक छंद है। इसमें 9 वर्ण होते हैं।
इसका मात्राविन्यास निम्न है-
211 222 112
पद्धरि छंद “जीवन मंत्र”
पद्धरि छंद 16 मात्रा प्रति चरण का सम मात्रिक छंद है। इन 16 मात्राओं की मात्रा बाँट:- द्विकल + अठकल + द्विकल + 1S1 (जगण) है।
मंदाक्रान्ता छंद “साध्य की खींच रेखें”
मंदाक्रान्ता छंद
गाना होता,मगन मन से,राम का नाम प्यारे।
आओ गाएँ,हम-तुम सभी,त्याग दें काम सारे।।
मिथ्या जानो,जगत भर के,रूप-लावण्य पाए।
वेदों के ये,वचन पढ़ के,काव्य के छंद गाए।।
तोमर छंद ‘सुशिक्षा’
तोमर छंद
अपनायें नवल जोश।
रखना है हमें होश।।
आडम्बर बुरी बात।
सदियों तक करे घात।।
कण्ठी छंद “सवेरा”
कण्ठी छंद विधा –
“जगाग” वर्णी।
सु-छंद ‘कण्ठी’।।
“जगाग” = जगण गुरु गुरु
121 2 2
5 वर्ण प्रति चरण का वर्णिक छंद। 4 चरण,
2-2 चरण समतुकांत
इंदिरा छंद “पथिक”
इंदिरा छंद / राजहंसी छंद विधान:-
“नररलाग” से छंद लो तिरा।
मधुर ‘राजहंसी’ व ‘इंदिरा’।।
“नररलाग” = नगण रगण रगण + लघु गुरु
वरूथिनी छंद
वरूथिनी छंद विधान:-
“जनाभसन,जगा” वरण, सुछंद रच, प्रमोदिनी।
विराम सर,-त्रयी सजत, व चार पर, ‘वरूथिनी’।।
“जनाभसन,जगा” = जगण+नगण+भगण+सगण+नगण+जगण+गुरु
गोपी छन्द ‘बनाकर लक्ष्य बढ़ो आगे’
गोपी छंद विधान-
यह मापनी आधारित प्रत्येक चरण पंद्रह मात्राओं का मात्रिक छन्द है।
आदि में त्रिकल (21 या 12),अंत में गुरु/वाचिक(२२ श्रेष्ठ)अनिवार्य है।
इसका वाचिक भार निम्न है-
3(21,12)2 2222 2(s) -15 मात्राएँ।