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ताटंक छंद ‘भँवर’

ताटंक छंद (गीत) ‘भँवर’ बीच भँवर में अटकी नैया, मंजिल छू ना पाई है। राहों में अपने दलदल की, खोदी मैंने खाई है।। कच्ची माटी के ढेले सा, मन कोमल सा मेरा था। जिधर मिला बल उधर लुढ़कता, कहाँ स्वार्थ ने घेरा था।। पकते तन पर धीरे धीरे, मलिन परत चढ़ आयी है। बीच भँवर […]

लावणी छंद  ‘दिल मेरा ही छला गया’

लावणी छंद (गीत) ‘दिल मेरा ही छला गया’ क्यूँ शब्दों के जादूगर से, दिल मेरा ही छला गया। उमड़ घुमड़ बरसाया पानी, बादल था वो चला गया।। तड़प रही थी एक बूंद को, सागर चलकर आया था। प्यासे मन से ये मत पूछो, कितना तुमको भाया था।। एक हृदय में आग धधकती, वो मेरे क्यूँ […]

कुकुभ छंद, ‘मेरा मन’

कुकुभ छंद गीत

जब-जब आह्लादित होता मन, गीत प्रणय के गाती हूँ,
खुशियाँ लेकर आये जो क्षण, फिर उनको जी जाती हूँ।

लावणी छंद ” बेटियाँ”

लावणी छंद गीत

“बेटियाँ”

घर की रौनक होती बेटी, सर्व गुणों की खान यही।
बेटी होती जान पिता की, है माँ का अभिमान यही।।