उज्ज्वला छंद
कुल सिसोदिया की आन को।
सांगा के कुल के मान को।।
ले जन्मे वीर प्रचंड वे।
राणा प्रताप मार्तंड वे।।
मेवाड़ी गुण की खान थे।
कुंभलगढ़ के वरदान थे।।
मुगलों के काल कराल वे।
क्षत्रिय वीरों के भाल वे।।
अकबर की आज्ञा को लिये।
जब मान सिंह हमला किये।।
हल्दीघाटी का युद्ध था।
हर क्षत्री योद्धा क्रुद्ध था।।
फिर तो राणा खूंखार थे।
झट चेतक पर असवार थे।।
रजपूती सेना साथ ले।
रण का बीड़ा वे हाथ ले।।
हल्दीघाटी में आ डटे।
अरि दल पर बिजली से फटे।।
फिर रुण्ड मुण्ड कटने लगे।
ज्यों शिव तांडव करने जगे।।
चेतक चण्डी सा हो पड़ा।
अरि सिर पर आ होता खड़ा।।
राणा झट रिपु सिर काटते।
भू कटे माथ से पाटते।।
यह घोर युद्ध चलता रहा।
यवनों का बल लुटता रहा।।
कर मस्तक उच्च अरावली।
गाये रण की विरुदावली।।
माटी का कण कण गा रहा।
यह अमर युद्ध सबसे महा।।
जो त्यजा धरा हित प्रान को।
शत ‘नमन’ प्रताप महान को।।
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उज्ज्वला छंद विधान –
उज्ज्वला छंद 15 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है। यह तैथिक जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 चरण होते हैं और छंद के दो दो या चारों चरण सम तुकांत होने चाहिए। इन 15 मात्राओं की मात्रा बाँट:- द्विकल + अठकल + S1S (रगण) है। द्विकल में 2 या 11 रख सकते हैं तथा अठकल में 4 4 या 3 3 2 रख सकते हैं।
लिंक –> मात्रिक छंद परिभाषा
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
महाराणा प्रताप की वीरता की गाथा, देश भक्ति से ओतप्रोत अति सराहनीय रचना हुई है।
वाहः भई वाहः
शुचिता बहन तुम्हारी प्रतिक्रिया का आत्मिक धन्यवाद।
महाराणा प्रताप के शौर्य से भरी अद्भुत गाथा का वर्णन।
आपकी हृदय खिलाती टिप्पणी का अतिशय आभार।