पंचचामर छंद / नाराच छंद
“देहाभिमान
कभी न रूप, रंग को, महत्त्व आप दीजिये।
अनित्य ही सदैव ये, विचार आप कीजिये।।
समस्त लोग दास हैं, परन्तु देह तुष्टि के।
नये उपाय ढूँढते, सभी शरीर पुष्टि के।।
शरीर का निखार तो, टिके न चार रोज भी।
मुखारविंद का रहे, न दीप्त नित्य ओज भी।।
तनाभिमान त्याग दें, कभी न नित्य देह है।
असार देह में बसा, परन्तु घोर नेह है।।
समस्त कार्य ईश के, मनुष्य तो निमित्त है।
अचेष्ट देह सर्वथा, चलायमान चित्त है।।
अधीन चित्त प्राण के, अधीन प्राण शक्ति के।
अरूप ब्रह्म-शक्ति ये, टिकी सदैव भक्ति के।।
अतृप्त ही रहे सदा, मलीन देह वासना।
तुरन्त आप त्याग दें, शरीर की उपासना।।
स्वरूप ‘बासुदेव’ का, समस्त विश्व में लखें।
प्रसार दिव्य भक्ति का, समग्र देह में चखें।।
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पंचचामर छंद / नाराच छंद विधान –
पंचचामर छंद जो कि नाराच छंद के नाम से भी जाना जाता है, १६ वर्ण प्रति पद का वर्णिक छंद है।
लघु गुरु x 8 = 16 वर्ण, यति 8+8 वर्ण पर। चार पद, दो दो समतुकांत।
लिंक –> वर्णिक छंद परिभाषा
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
पञ्चचामर छंद में देह के अभिमान एवं उसकी सजावट में लिप्त मनुष्यों को सुंदर संदेश देती रचना।
इस अनुपम सृजन की बधाई आपको।
शुचिता बहन तुम्हारी भावभीनी प्रतिक्रिया का हृदयतल से धन्यवाद।
बहुत सुंदर सारगर्भित रचना हुई है।
आपकी प्रतिक्रिया का बहुत बहुत धन्यवाद।