मधुमालती छंद
“पर्यावरण”
पर्यावरण, मैला हुआ।
वातावरण, बिगड़ा हुआ।।
कोई नहीं, संयोग ये।
मानव रचित, इक रोग ये।।
धुंआ बड़ा, विकराल है।
साक्षात ये, दुष्काल है।।
फैला हुआ, चहुँ ओर ये।
जग पर विपद, घनघोर ये।।
पादप कटें, देखो जहाँ।
निर्मल हवा, मिलती कहाँ।।
मृतप्राय है, वन-संपदा।
सिर पर खड़ी, बन आपदा।।
दूषित हुईं, सरिता सभी।
भारी कमी, जल की तभी।।
मिलके तुरत, उपचार हो।
देरी न अब, स्वीकार हो।।
हम नींद से, सारे जगें।
लतिका, विटप, पौधे लगें।।
होकर हरित, वसुधा खिले।
फल, पुष्प अरु, छाया मिले।।
कलरव मधुर, पक्षी करें।
संगीत से, भू को भरें।।
दूषित हवा, सब लुप्त हों।
रोगाणु भी, सब सुप्त हों।।
दूषण रहित, संयंत्र हों।
वसुधा-हिती, जनतंत्र हों।।
वातावरण, स्वच्छंद हो।
मन में न कुछ, दुख द्वंद हो।।
क्यों नागरिक, पीड़ा सहें।
बन जागरुक, सारे रहें।।
बेला न ये, आये कभी।
विपदा ‘नमन’, टालें सभी।।
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मधुमालती छंद विधान –
मधुमालती छंद 14 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है। इसमें 7 – 7 मात्राओं पर यति तथा पदांत रगण (S1S) से होना अनिवार्य है । यह मानव जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 पद होते हैं और छंद के दो दो या चारों पद सम तुकांत होने चाहिए। इन 14 मात्राओं की मात्रा बाँट:- 2212, 2S1S है। S का अर्थ गुरु वर्ण है। 2 को 11 करने की छूट है पर S को 11 नहीं कर सकते।
लिंक :- मात्रिक छंद परिभाषा
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया
नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
पर्यावरण संरक्षण हेतु बहुत ही उत्कृष्ट सृजन भैया।
शुचिता बहन तुम्हारी मनभाती प्रतिक्रिया का बहुत बहुत धन्यवाद।
इस प्यारी छंद में पर्यावरण पर बहुत सुंदर रचना हुई है।
आपकी मोहक प्रतिक्रिया का हार्दिक धन्यवाद।