मनमोहन छंद
“राजनीति”
राजनीति की, उठक पटक।
नेताओं की, चमक दमक।।
निज निज दल में, सभी मगन।
मातृभूमि की, कुछ न लगन।।
परिवारों की, छाँव सघन।
वंश वाद को, करे गहन।।
चाटुकारिता, हुई प्रबल।
पत्रकारिता, नहीं सबल।।
लगे समस्या, बड़ी विकट।
समाधान है, नहीं निकट।।
कैसे ढाँचा, सकूँ बदल।
किस विध लाऊँ, भोर नवल।।
आँखें रहती, नित्य सजल।
प्रतिदिन पीता, यही गरल।।
देश भक्ति की, लगी लगन।
रहता इसमें, सदा मगन।।
मन में भारी, उथल पुथल।
असमंजस में, हृदय पटल।।
राजनीति की, गहूँ शरण।
या फिर कविता, करूँ वरण।।
हर दिन पहले, बिखर बिखर।
धीरे धीरे, गया निखर।।
समझा किसका, करूँ चयन।
‘नमन’ काव्य का, करे सृजन।।
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मनमोहन छंद विधान –
मनमोहन छंद 14 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है जिसका अंत नगण (111) से होना आवश्यक है। इसमें 8 और 6 मात्राओं पर यति अनिवार्य है। यह मानव जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 पद होते हैं और छंद के दो दो या चारों पद सम तुकांत होने चाहिए। इन 14 मात्राओं की मात्रा बाँट अठकल, छक्कल है जिसका अंत 111 से जरूरी है। अठकल में 4 4 या 3 3 2 हो सकते हैं। छक्कल की यहाँ संभावनाएँ:-
3 + नगण (3 = 12, 21 या 111)
2 +1111 (2 = 2 या 11)
211 + 11 (2 = 2 या 11)
मात्रिक छंद परिभाषा
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बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’ ©
तिनसुकिया

नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
आज के राजनैतिक परिवेश का दिग्दर्शन कराती बहुत प्यारी कविता।
आपकी टिप्पणी का बहुत बहुत धन्यवाद।
राजनैतिक, पारिवारिक वीभत्स परिस्थितियों को देखकर मन में हो रही उथल पुथल का सांगोपांग वर्णन। अपनी मनःस्थिति को स्थिर करने हेतु काव्य सृजन का सहारा बहुत खूब ढूँढा है आपने।
बहुत सुंदर रचना भैया।
शुचिता बहन तुम्हारी हृदय को प्रफुल्लित करती प्रतिक्रिया का हृदयतल से धन्यवाद।