शोकहर छंद
‘बेटी’
लहके तन मन, जैसे उपवन, खुशियाँ रोशन, हो जाती।
बेटी प्यारी, राजदुलारी, जिस घर पैदा, हो आती।।
गुल सी खिलकर, खिल-खिल हँसकर, प्रतिपल घर को, महकाती।
जब वह बोले, मधुरस घोले, आँगन हरदम, चहकाती।।
जिस घर खेली, यह अलबेली, गूँजी बनकर, शहनाई।
लक्ष्मी रूपा, शक्ति स्वरूपा, रौनक घर में, ले आई।।
नेहल मोती, सदा पिरोती, डोर प्रीत की, कहलाई।
हृदय लुभाती, सकल सुहाती, होती बेटी, सुखदाई।।
माँ की बातें, सब सौगातें, धारण मन में, करती है।
अपनेपन से, अन्तर्मन से, दो कुल को वो, वरती है।।
छोड़े नेहर, जाये पर घर, मुश्किल सबकी, हरती है।
छुपकर रोती, धैर्य न खोती, खुशियों से घर, भरती है।।
शौर्य वीरता, मातृ धीरता, उसने मन में, जब ठानी।
लक्ष्मी बाई, पन्नाधाई, बनी पद्मिनी, अभिमानी।।
सौम्य स्वभावी, वृहद प्रभावी, छवि जग ने भी, पहचानी।
बेटी सबला, रही न अबला, विविध रूप की, वो रानी।।
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शोकहर छंद / सुभंगी छंद विधान- मात्रिक छंद परिभाषा
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शोकहर छंद 30 मात्राओं का समपद मात्रिक छंद है। चार पदों के इस छंद में चारों पद समतुकांत होते हैं। परन्तु जगन्नाथ प्रसाद ‘भानु’ के ग्रंथ “छंन्द प्रभाकर” में दिये गये उदाहरण में समतुकांत दो दो पद में निभाया गया है।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
अठकल + अठकल + अठकल + छक्कल
2222, 2222, 2222, 222 (S)
8+8+8+6 = 30 मात्रा।
अठकल में (4+4 या 3+3+2 दोनों हो सकते हैं।)
चौकल में चारों रूप (11 11, 11 2, 2 11, 22) मान्य रहते हैं।
प्रथम दो आंतरिक यति की समतुकांतता आवश्यक है।
अंत में एक गुरु का होना अनिवार्य है।
शोकहर छंद को सुभंगी छंद के नाम से भी जाना जाता है।
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शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
बेटी के ऊपर बहुत प्यारी रचना हुई है।
आभार आपका।
शुचिता बहन तुम्हारी शोकहर छंद की बेटी के विभिन्न रूप दर्शाती बहुत ही प्यारी कविता हुई है।
हार्दिक आभार।