तमाल छंद
“ग्रीष्म ताण्डव”
दिखा रही है ग्रीष्म पूर्ण बल आज,
ठहर गये हैं भू तल के सब काज।
प्रखर उष्णता का कर कुटिल प्रसार,
वसुधा को झुलसाती लू की धार।।
तप्त तपन की ताप राशि दुस्वार,
प्रलय स्वप्न को करती ज्यों साकार।
अट्टहास में रुदन समेटे घोर,
ग्रीष्म बहाये पिघला लावा जोर।।
नहीं छुपाने का तन को है ठौर,
घोर व्यथा का आया भू पर दौर।
शुष्क हुये सब नदी सरोवर कूप,
नर, पशु, पक्षी, तरु का बिगड़ा रूप।।
दुष्कर अब तो सहना सलिल अभाव,
रहा मौत दे अब यह भीषण दाव।
झुलसाया जन जन को यह संताप,
कब जायेगा छोड़ प्रलय की छाप।।
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तमाल छंद विधान – तमाल छंद एक सम पद मात्रिक छंद है, जिसमें प्रति चरण 19 मात्रा रहती हैं। दो-दो या चारों चरण समतुकांत होते हैं। इसका मात्रा विन्यास निम्न है-
चौपाई + गुरु लघु (16+3 =19मात्रा)
चरण के अंत में गुरु लघु अर्थात (21) होना अनिवार्य है। चौपाई छंद का विधान अनुपालनिय होगा, जो कि निम्न है-
चौपाई छंद चौकल और अठकल के मेल से बनती है। चार चौकल, दो अठकल या एक अठकल और दो चौकल किसी भी क्रम में हो सकते हैं। समस्त संभावनाएँ निम्न हैं।
4-4-4-4, 8-8, 4-4-8, 4-8-4, 8-4-4
चौपाई छंद में कल निर्वहन केवल चतुष्कल और अठकल से होता है। अतः एकल या त्रिकल का प्रयोग करें तो उसके तुरन्त बाद विषम कल शब्द रख समकल बना लें। जैसे 3+3 या 3+1 इत्यादि।
चौकल = 4 – चौकल में चारों रूप (11 11, 11 2, 2 11, 22) मान्य रहते हैं।
बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया

नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
मेरा ब्लॉग:
मोहक छंद में गर्मी की ऋतु की विभिषिका का सुंदर वर्णन।
आपकी टिप्पणी का हार्दिक धन्यवाद।
ग्रीष्म ऋतु के तांडव रूप का यथार्थ चित्रण। शब्द संयोजन, भाव, विधान से उत्कृष्ट है ।
शुचिता बहन तुम्हारी भावभीनी प्रतिक्रिया का हार्दिक धन्यवाद।