चार पदों के इस छंद में प्रत्येक पद में कुल वर्ण संख्या 30 होती है। पद में 8, 8, 8, 6 वर्ण पर यति रखना अनिवार्य है। इस घनाक्षरी में चरणान्त की कोई बाध्यता नहीं, कुछ भी रख सकते हैं।
घनाक्षरी एक वर्णिक छंद है अतः सूर घनाक्षरी में वर्णों की संख्या प्रति पद 30 वर्ण से न्यूनाधिक नहीं हो सकती। चारों पदों में समतुकांतता निभानी आवश्यक है।
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नाम- बासुदेव अग्रवाल;
जन्म दिन – 28 अगस्त, 1952;
निवास स्थान – तिनसुकिया (असम)
रुचि – काव्य की हर विधा में सृजन करना। हिन्दी साहित्य की हर प्रचलित छंद, गीत, नवगीत, हाइकु, सेदोका, वर्ण पिरामिड, गज़ल, मुक्तक, सवैया, घनाक्षरी इत्यादि।
सम्मान- मेरी रचनाएँ देश के सम्मानित समाचारपत्र और अधिकांश प्रतिष्ठित वेब साइट में नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। हिन्दी साहित्य से जुड़े विभिन्न ग्रूप और संस्थानों से कई अलंकरण और प्रसस्ति पत्र नियमित प्राप्त होते रहते हैं।
प्रकाशित पुस्तकें- गूगल प्ले स्टोर पर मेरी दो निशुल्क ई बुक प्रकाशित हैं।
(1) “मात्रिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 37RT28H2PD2 है। (यह 132 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें मात्रिक छंदों की मेरी 91 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘मात्रिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 160 के करीब मात्रिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
(2) “वर्णिक छंद प्रभा” जिसकी गूगल बुक आइ डी :- 509X0BCCWRD है। (यह 134 पृष्ठ की पुस्तक है जिसमें वर्णिक छंदों की मेरी 95 कविताएँ विधान सहित संग्रहित हैं। पुस्तक के अंत में ‘वर्णिक छंद कोष’ दिया गया है जिसमें 430 के करीब वर्णिक छंद विधान सहित सूचीबद्ध हैं।)
दोहा छंद "वयन सगाई अलंकार" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' October 3, 2022 चारणी साहित्य मे दोहा छंद के कई विशिष्ट अलंकार हैं, उन्ही में सें एक वयन सगाई अलंकार (वैण सगाई अलंकार) है। दोहा छंद के हर चरण का प्रारंभिक व अंतिम शब्द एक ही वर्ण से प्रारंभ हो तो यह अलंकार…
कुण्डलिया छंद "विधान" by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' October 1, 2021 कुण्डलिया छंद "विधान" कुण्डलिया छंद दोहा छंद और रोला छंद के संयोग से बना विषम छंद है। इस छंद में ६ पद होते हैं तथा प्रत्येक पद में २४ मात्राएँ होती हैं। यह छंद दो छंदों के मेल से बना…
रोला छंद विधान by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' September 23, 2021 रोला छंद विधान - रोला छंद चार पदों का सम मात्रिक छंद है। इसके प्रत्येक पद में 24 मात्रा तथा पदान्त गुरु अथवा 2 लघु से होना आवश्यक है।
दोहा छंद विधान by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' September 19, 2021 दोहा छंद विधान - दोहा एक अर्द्धसम मात्रिक छन्द है। यह द्विपदी छंद है जिसके प्रति पद में 24 मात्रा होती है।प्रत्येक पद 13, 11 मात्रा के दो यति खण्डों में विभाजित रहता है।
चौपाई छंद विधान by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' July 29, 2021 चौपाई छंद विधान चौपाई 16 मात्रा का बहुत ही व्यापक छंद है। यह चार चरणों का सम मात्रिक छंद है। चौपाई के दो चरण अर्द्धाली या पद कहलाते हैं। एक चरण में आठ से सोलह वर्ण तक हो सकते हैं,…
लावणी छंद विधान by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' July 16, 2021 लावणी छंद विधान लावणी छंद सम मात्रिक छंद है। इस छंद में चार पद होते हैं, जिनमें प्रति पद 30 मात्राएँ होती हैं। प्रत्येक पद दो चरण में बंटा हुआ रहता है जिनकी यति 16-14 पर निर्धारित होती है।
32 मात्रिक छंद विधान by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' July 15, 2021 32 मात्रिक छंद विधान यह चार पदों का सम मात्रिक छंद है जो ठीक चौपाई का ही द्विगुणित रूप है। इन 32 मात्रा में 16, 16 मात्रा पर यति होती है तथा दो दो पदों में पदान्त तुक मिलाई जाती…
आल्हा छंद विधान by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' July 3, 2021 आल्हा छंद या वीर छंद "विधान" आल्हा छंद या वीर छंद 31 मात्रा प्रति पद का सम पद मात्रिक छंद है। यह चार पदों में रचा जाता है। इसे मात्रिक सवैया भी कहते हैं। इसमें यति16 और 15 मात्रा पर…
मनहरण घनाक्षरी विधान by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' June 28, 2021 मनहरण घनाक्षरी विधान :- मनहरण को घनाक्षरी छंदों का सिरमौर कहें तो अनुचित नहीं होगा। चार पदों के इस छन्द में प्रत्येक पद में कुल वर्ण संख्या 31 होती है। घनाक्षरी एक वर्णिक छंद है अतः वर्णों की संख्या 31…
घनाक्षरी विवेचन by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' June 28, 2021 घनाक्षरी विवेचन घनाक्षरी वर्णिक छंद है जिसमें 30 से लेकर 33 तक वर्ण होते हैं परंतु अन्य वर्णिक छन्दों की तरह इसमें गणों का नियत क्रम नहीं है। यह कवित्त के नाम से भी प्रसिद्ध है। घनाक्षरी गणों के और…
सीताराम
सूर घनाक्षरी का विधान सूर घनाक्षरी में ही पढ़ने को मिला।बहुत सुंदर विधान की अभिव्यक्ति है।नये-पुराने सभी के लिए यह लाभ प्रदान सिद्ध होगा।भूरिशः बधाई।
सीताराम
सूर घनाक्षरी का विधान सूर घनाक्षरी में ही पढ़ने को मिला।बहुत सुंदर विधान की अभिव्यक्ति है।नये-पुराने सभी के लिए यह लाभ प्रदान सिद्ध होगा।भूरिशः बधाई।
आदरणीय बाबाजी आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया का हृदयतल से आभार।
वाहः अति सुंदर। सुर घनाक्षरी में घनाक्षरी विधान को बहुत ही सुंदर, लयात्मक तरीके से आपने समझा दिया।
अद्भुत।
शुचिता बहन तुम्हारी प्रतिक्रिया का बहुत बहुत धन्यवाद।
सूर घनाक्षरी में ही किसी भी प्रकार की घनाक्षरी सृजन की सुंदर विवेचना।
आपकी टिप्पणी का हृदयतल से धन्यवाद।