ताटंक छंद
‘स्वच्छ भारत’
सुंदर स्वच्छ बनेगा भारत, ऐसा शुभ दिन आएगा।
तन मन धन से भारतवासी ,जब आगे बढ़ जाएगा।।
अलग-अलग आलाप छोड़कर, मिलकर सुर में गाएगा ।
गाँव नगर हर शहर-शहर से, भ्रष्टाचार मिटाएगा।।
हरियाली की चाहत से भू, वृक्षों से लहकाएँगे।
एक अकेला जन थक जाए, हम सब साथ निभाएँगे।।
सबसे आगे होगा भारत, सोच यही अपनाएँगे।
जैसा बीज रखेंगे मन में, अंकुर वैसा पाएँगे।।
बन्द तिजोरी से धन काला, बाहर अब लाना होगा।
घोटालों से मुक्त देश यह, जन-जन को करना होगा।।
लालच की गंदी गलियों से, कचरे को उठवाएँगे।
शुद्ध कमाई जो भी होगी, उसको मिलकर खाएँगे।
बेटा-बेटी एक बराबर, यही सोच अपनाएँगे।
गाँव-शहर की हर बेटी को, विद्यालय पहुँचाएँगे।।
नारी के प्रति बुरी नजर से, नर ऊपर उठ जाए तो।
मानवता की स्वच्छ लहर का, प्रादुर्भाव तभी तो हो।।
लिंक :- ताटंक छंद विधान
शुचिता अग्रवाल “शुचिसंदीप”
तिनसुकिया, आसाम
नाम-
शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
(विद्यावाचस्पति)
जन्मदिन एवम् जन्मस्थान-
26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान)
पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया
माता- स्वर्गीय चंदा देवी
परिचय-मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। देश की अनेक साहित्यिक प्रतिष्ठित शाखाओं से जुड़ी हुई हूँ।
सम्मान पत्र- कविसम्मेलन,जिज्ञासा,रचनाकार,साहित्य संगम संस्थान,काव्य रंगोली,आदि संस्थाओं से सम्मान पत्र प्राप्त हुए।
काव्य रंगोली’ द्वारा ‘समाज भूषण-2018’
“आगमन” द्वारा ‘आगमन काव्य विदुषी सम्मान-2019’ एवं साहित्य के क्षेत्र में प्राइड वीमेन ऑफ इंडिया ‘2022’ प्राप्त हुआ है।
साहित्य संगम संस्थान द्वारा “विद्यावाचस्पति(डॉक्टरेट)” की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हूँ।
प्रकाशित पुस्तकें- मेरे एकल 5 कविता संग्रह “दर्पण” “साहित्य मेध” “मन की बात ” “काव्य शुचिता” तथा “काव्य मेध” हैं। मेरी साझा पुस्तकों,पत्रिकाओं,समाचार पत्रों तथा वेबसाइट्स पर समय-समय पर रचनाएं प्रकाशित होती हैं।
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शुचिता बहन इस ताटंक छंद की कविता में सुंदर स्वच्छ भारत की बहुत सुंदर परिकल्पना प्रस्तुत की है।
उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत आभार भैया।
बहुत सार्थक मनोकामना से पूर्ण रचना।
हार्दिक आभार आपका।