Categories
Archives

             दोहा छंद

  ‘जय पितरजी’

पितरों के सम्मान में, नमन नित्य सौ बार।
भाव सुमन अर्पण करूँ, आप करो स्वीकार।।

श्राद्ध पक्ष का आगमन, पितरों का सत्कार।
श्रद्धा से पूजन करें, हिय से हो मनुहार।।

पूर्वज अपने कर रहे, पितर लोक में वास।
दान, मान अरु भोज की, रखते कुल से आस।।

पुरखों के आशीष से, बनते बिगड़े काम।
तृप्त पितर जिनके रहे, निखरे उनका नाम।।

करते कष्टों का सदा, सजग होय संहार।
पितर देवता की करे, जो जन जय जयकार।।

दोहा छंद विधान

◆◆◆◆◆◆

शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’

तिनसुकिया, असम

4 Responses

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *