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दोहा छंद

“विवाह में गणपति निमंत्रण”

प्रथम निमंत्रण आपको, विघ्न विनायक नाथ।
पग पग पर रहना सदा, आप ब्याह में साथ।।

सकल सुखद संजोग से, ब्याह मँड्यो है आज।
देव पधारो आँगना, सकल सुधारो काज।।

कुंकुंपत्री ब्याव की, न्यूंतो मानो नाथ।
रणतभँवर सूं आवज्यो, लाज तिहारे हाथ।।

रिद्धि सिद्धि के संग में, आओ हे गणराज।
भक्तों के घर व्याह रा, साधो सगला काज।।

अन्न भर् यो भंडार हो, धन कुबेर री खान।
थे ही थामो कोथली, थे ही राखो मान।।

बेगा बेगा आइज्यो, करूँ नाथ मनुहार।
काम ब्याह रो थामल्यो, भक्तां रा सरकार।।

दोहा छंद विधान

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शुचिता अग्रवाल ‘शुचिसंदीप’
तिनसुकिया, असम

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